54 साल बाद बरेली में ब्लैकआउट: अंधेरे में एकजुटता, लेकिन कुछ जगहों की रोशनी ने किया विचलन

बरेली। भारत-पाक तनाव के मद्देनज़र गृह मंत्रालय के निर्देश पर बुधवार रात शहर में मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट अभ्यास हुआ। जैसे ही रात 8 बजे अपील की गई पूरा शहर 10 मिनट के लिए अंधेरे में डूब गया। घरों, दुकानों और धार्मिक स्थलों पर लोगों ने स्वेच्छा से लाइटें बंद कर देशहित में अनुशासन का परिचय दिया। यह 1971 की जंग के बाद पहली बार था जब बरेली ने एक साथ ऐसा ब्लैकआउट देखा।
जनता की भागीदारी:
कुतुबखाना, सैटेलाइट, कोतवाली, स्टेडियम रोड, सिविल लाइंस और जंक्शन समेत कई इलाकों में लोगों ने एकजुटता दिखाई और ब्लैकआउट को सफल बनाया।
कुछ स्थानों ने तोड़ी एकरूपता:
लेकिन इस ऐतिहासिक कदम में कुछ बाधाएँ भी दिखीं। सिटी स्टेशन रोड के पास न्यू रंजना हॉस्पिटल में लाइटें बंद नहीं हुईं, जबकि रामपुर गार्डन क्षेत्र में स्ट्रीट लाइटें चालू रहीं, जिससे सरकारी प्रयासों को आंशिक झटका लगा।
देशभक्ति का संदेश:
गृह मंत्रालय द्वारा युद्ध जैसी स्थिति की तैयारी को लेकर मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट का आयोजन किया गया था, जिसमें बरेली के नागरिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और देशभक्ति का परिचय दिया।






