सृष्टि के रचनहार कबीर परमात्मा — संत रामपाल जी महाराज के सत्संग में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

बरेली। जिला बरेली की तहसील सदर में स्थित कुंवर बिजेंद्र पाल सिंह बारात घर, बीसलपुर चौराहे से भुता रोड पर 150 मीटर दायें, आज उस समय श्रद्धा और अध्यात्म का केंद्र बन गया जब वहां जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में प्रोजेक्टर के माध्यम से एक विशाल सत्संग का आयोजन किया गया।
सत्संग में बरेली जनपद ही नहीं, बल्कि आसपास के कई जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। श्रद्धालुओं ने पूरे अनुशासन, शांति और समर्पण के साथ संत रामपाल जी के प्रवचनों को सुना और आत्मज्ञान प्राप्त किया।
प्रवचनों की प्रमुख बातें — कौन है सृष्टि का रचनहार?
संत रामपाल जी महाराज ने अपने तत्वज्ञान में बताया कि संपूर्ण सृष्टि के रचनहार कोई और नहीं बल्कि स्वयं कबीर परमात्मा हैं।
उन्होंने अथर्ववेद काण्ड 4, अनुवाक 1, मंत्र 1 का हवाला देते हुए कहा कि– “सनातन परमेश्वर ने सत्यलोक से प्रकट होकर अपनी सूझ-बूझ से रचना की है। सतलोक, ब्रह्माण्ड और सभी सृष्टियां उन्हीं की सृजन शक्ति से बनी हैं।”
उन्होंने दादू साहेब जी का प्रमाण भी उद्धृत किया—”जिन मोकुं निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोए नहीं, कबीर सृजनहार।।”
साथ ही कुरआन शरीफ़ के सूरह फुरकान 25, आयत 59 का हवाला देते हुए बताया कि उसमें भी सृष्टिकर्ता “कबीरन्” नाम से ही वर्णित हैं।
सेवा, व्यवस्था और समर्पण का मिला उदाहरण
इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि सेवादारों ने श्रद्धालुओं के लिए उत्तम व्यवस्था कर रखी थी — चाहे वह बैठने की व्यवस्था हो, भोजन-पानी की सुविधा हो या शांति व्यवस्था।
श्रद्धालुजन संत रामपाल जी के अध्यात्मिक ज्ञान से इस कदर प्रभावित दिखे कि वे वहां से नया दृष्टिकोण और नई ऊर्जा लेकर लौटे।
समाज सुधार की दिशा में बड़ा संदेश
सेवादारों ने बताया कि संत रामपाल जी महाराज ना केवल अध्यात्मिक जगत में बल्कि समाज सुधार की दिशा में भी एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहे हैं।
उनके मार्गदर्शन में लोग नशा, दहेज, जात-पात, पाखंड जैसी बुराइयों से मुक्त होकर सच्चे अध्यात्म और मानवता की ओर बढ़ रहे हैं।
इस सत्संग में आदित्य दास, रामप्रकाश दास, प्रेमपाल दास, अमित दास और अरुण दास सहित कई श्रद्धालु एवं सेवादार मौजूद रहे।