
बरेली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अधीन केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI) में रविवार को आयोजित 47वें स्थापना दिवस एवं कुक्कुट मेले में इस बार सबकी नज़रें एक नई विदेशी प्रजाति पर ठहर गईं — अमेरिकन रॉड आइलैंड रेड (RIR)।
यह प्रजाति किसानों के लिए ड्यूल परपज यानी मांस और अंडा दोनों उत्पादन में क्रांतिकारी विकल्प बन सकती है।
छह हफ्ते में तैयार, 240 अंडे सालभर में
सीएआरआई वैज्ञानिकों के अनुसार आरआईआर प्रजाति सिर्फ छह सप्ताह में दो किलो वजन तक पहुंच जाती है और सालभर में औसतन 240 अंडे देती है। यह स्थानीय जलवायु में भी आसानी से ढल जाती है और कम चारा खाने के बावजूद अधिक उत्पादन देती है।
किसानों और उद्यमियों ने मेले में इस प्रजाति को देखकर इसे “मुर्गी पालन का भविष्य” बताया।
किसानों की रही भारी भीड़
मेले में करीब 2000 किसान और पोल्ट्री उद्यमी पहुंचे। 35 से अधिक स्टॉलों पर नई प्रजातियों और तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। कुल 350 किलोग्राम अंडे, 3500 बटेर अंडे, 100 किलो चिकन मांस, और 105 पैकेट चिकन बाइट्स बिके।
वहीं एग बिस्किट, एग पेड़ा, रसमलाई और अंडे का अचार खास आकर्षण बने रहे।
एआई से लागत घटाने पर जोर
मुख्य अतिथि डॉ. राजवीर सिंह, उप महानिदेशक (कृषि प्रसार), ICAR ने कहा “पोल्ट्री में लागत घटाने और प्रबंधन सुधार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित स्मार्ट मॉनिटर सिस्टम पर अधिक शोध की जरूरत है।”
उन्होंने कार्बन क्रेडिट पर भी अनुसंधान को बढ़ावा देने की बात कही।»
“मुर्गीपालन में बीसी रेश्यो तीन” : डॉ. दीक्षित
विशिष्ट अतिथि डॉ. अनिल कुमार दीक्षित, सहायक महानिदेशक (PIM), ICAR ने ऑनलाइन संबोधन में कहा “पोल्ट्री उद्योग का बेनीफिट-कॉस्ट रेश्यो तीन है यानी एक रुपये के निवेश पर तीन रुपये तक लाभ संभव है।”उन्होंने जीनोमिक कन्वर्जन ऑफ जेनेटिक डाइवर्सिटी पर हो रहे शोधों की भी सराहना की।»
गंधहीन अंडा बना चर्चा का विषय
मेले में पूरनपुर के एक उद्यमी द्वारा सीएआरआई तकनीक से तैयार गंधरहित अंडे की बिक्री ने लोगों को आकर्षित किया। एडीजी डॉ. गौड़ ने निरीक्षण के दौरान इस तकनीक की विस्तार से जानकारी ली और किसानों को इसके लाभ समझाए।






