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राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन प्रदेश अध्यक्ष ने पंचायतीराज निदेशक को लिखा पत्र…

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राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन प्रदेश अध्यक्ष ने पंचायतीराज निदेशक को लिखा पत्र…

लखनऊ। राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर पाण्डेय ने निदेशक पंचायती राज उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि ग्राम पंचायत में ई ग्राम स्वराज पोर्टल पर योजनाओं को अपलोड किए जाने एवं कार्य के उपरांत भुगतान ग्राम सचिवालय में स्थापित कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से किए जाने के संबंध में आपके पत्रांक6/801/2018-8/256/11/2024-25 लखनऊ दिनाँक 24 मई2024 को पुनर्विचार कर निष्क्रिय करने हेतु सादर निवेदन है कि उपरोक्त पत्र को लेकर प्रदेश भर के प्रधानों में असहमति/असंतोष व्याप्त है। ऐसा संगठन के संज्ञान में आया है। सत्र में कम समय बचा है काम बहुत करना है ऐसे में नित नए-नए प्रयोग ठीक नहीं है। नए प्रयोगों सेअड़चने उत्पन्न होगी, आवश्यक समय नष्ट होगा जो ग्राम पंचायत के विकास हित में बाधक है। कृपया निम्न बिंदुओं पर सिंहावलोकन करने की कृपा करें।

1) ग्राम पंचायत में नियुक्ति का अधिकार ग्राम पंचायत के प्रशासनिक समिति में निहित है,जिसके अध्यक्ष ग्राम प्रधान होते है।ऐसे में पंचायत सहायकों को नियुक्ति के दो वर्ष से अधिक समय व्यतीत हो जाने पर भी नियुक्ति समिति के अध्यक्ष एवं उनके सदस्यों द्वारा विभिन्न क्षेत्रीय व स्थानीय कारणों से इनके ऊपर कोई प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित नहीं किया जा सका है। इनके जॉब चार्ट एवं अन्य कार्य हेतु आदेश निर्देश शासन प्रशासन एवं जनपद स्तर पर निर्गत किए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में वित्तीय प्रबंधन की गेटवे प्रणाली में नियंत्रण होने के कारण क्यूआर कोड वेरी फायर के रूप में इनके पंजीयन के बाद भुगतान प्रणाली पर गहरा असर पड़ेगा जो की ग्राम पंचायत के विकास के हित में कत्तई नही होगा।

2) पंचायत सहायक सामान्य हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की मेरिट पर नियुक्त नॉन टेक्निकल मानदेय प्राप्त कर्मी है। भले ही उनके पद के साथ अकाउंटेंट कम डाटाएंट्री आपरेटर लिखा हुआ है। कुछ पंचायत सहायकों की नियुक्ति कोरोना काल में मेरिट को इग्नोर करते हुए अनुकंपा के आधार पर हुई थी पंचायत सहायक का अनुबंध ग्राम पंचायत से प्रथम वर्ष 1वर्ष की संविदा पर तथा कार्य संतोषजनक पाए जाने पर उनकी संविदा का वर्षानुवर्ष नवीनीकरण अधिकतम 2वर्ष के लिए किया जा सकेगा। अतः पंचायत सहायक हेतु नियुक्ति शासनादेश के अनुरूप बिंदु संख्या 07 द्वारा पंचायत सहायक का अनुबंध ग्राम पंचायत से अधिकतम 03 वर्ष के लिए ही किया जा सकता है। अधिकांश मानदेय पर कार्यरत पंचायत सहायकों का कार्यकाल दिसंबर 24 में समाप्त हो जाएगा। ऐसे में ग्राम पंचायत के भुगतान संबंधी प्रकरण में उनकी सहभागिता प्रासंगिक एवं समयोजित नहीं है अपितु विवाद का कारण भी बनेगी।

3) ग्राम पंचायत की ई ग्राम स्वराज प्रणाली में गेटवे सिस्टम पूर्व से ही मौजूद है जिसके चेकर एवं मेकर की भूमिका निर्वाचित ग्राम प्रधान एवं ग्राम सचिव जो चयनित हैं का डोंगल पी.एफ.एम.एस प्रणाली से लगता है यदि किसी ग्राम पंचायत द्वारा तकनीकी कमी या गलती से भी कोई भुगतान गेटवे से बाहर लग जाता है तो तत्काल शासन प्रशासन एवं जनपद की मॉनिटरिंग प्रणाली की पकड़ में जद में आ जाता है। और निश्चित रूप से अगर गलती जान बूझकर की गई है तो संबंधित दोषी को दंडित भी किया जाता है। इतनी पारदर्शी मजबूत व सृजन व्यवस्था के बाद भी अगर अल्प मानदेय अस्थाई नॉन टेक्नीशियन किसी भी जवाब देने से मुक्त पंचायत सहायक को इस प्रणाली में फेस रिकॉग्नाइज करते हुए गेटवे प्रणाली को खोलने हेतु क्यूआर कोड जनरेट करना पड़ रहा है तो यह विडम्बना होगी। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इससे ग्राम पंचायत एवं ग्राम प्रधान के सामाजिक छवि प्रभावित होगी ग्राम पंचायत में रोज नए विवाद के कारण उतपन्न होंगे, क्योंकि पंचायत सहायक उसी ग्राम पंचायत के मूल निवासी हैं। इससे विकास कार्य तो बात की बात है तमाम विवाद खड़े हो जाएंगे यह व्यावहारिक नहीं है।

4) ग्राम पंचायत में कार्यरत महिला पुरुष पंचायत सहायक मेरिट के आधार पर मंडे पर नियुक्त हुए हैं तथा इनमें से तमाम उच्च शिक्षा एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैनाती में लगे हैं प्रदेश में अधिकांश ग्राम प्रधानगण एवं पंचायत सहायकों के व्यक्तिगत संबंध भी क्षेत्रीय राजनीतिक तथा स्थानिक कारणों के चलते बहुत अच्छे नहीं हैं कहीं कहीं बहुत असहज है। ऐसे में केंद्रीय वित्त/राज्यवित्त/SLWM आदि योजनाओं की धनराशि अत्यधिक कम समय में व्यय करने हेतु शासन प्रशासन द्वारा पड़ने वाले दबाव के लिए विभिन्न कारण से ग्राम पंचायत के अनुपस्थित रहने पर बाहर रहने वाले/ पंचायत सहायक निश्चित ही विकास की गति को मंद कर देंगे। इतना ही नहीं कहीं कहीं गति रुक भी जाएगी। जो ग्राम विकास के लिए ठीक नहीं है।

5) वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में लगभग 10% पंचायत सहायक के पद विभिन्न करणो से रिक्त हैं तथा यह सिलसिला अनवरत रूप से जारी है ऐसे में यह है यक्ष प्रश्न है कि रिक्त ग्राम पंचायत में किसके फेस रिकोडिनशन से गेटवे खुलेगा। पंचायत सहायकों को नियुक्ति प्रक्रिया लंबी व जटिल है। इनके न रहने से लंबे समय तक क्या ग्राम पंचायते भुगतान के अभाव में किंकर्तव्य विमूढ़ बनी रहेगी। जबकि कार्यकाल बहुत कम बचा है विकास कार्य की गति युद्ध स्तर पर होनी चाहिए।

6) अगर ग्राम पंचायत सहायकों को यह अधिकार (जो औचित्यहीन है) देना इतना ही आवश्यक है तो निश्चित रूप से गांव में विवाद बढ़ेंगे जिससे विकास कार्य बाधित होगा।

7) प्रदेश के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित पंचायत सहायकों के नेटवर्क की भारी प्रॉब्लम रहती है जिसकी वजह से प्रधान एवं सचिव को देर शाम देर रात तक बैठकर काम करना होता है जो पंचायत सहायक के लिए कतई संभव नहीं है। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी भीषण गर्मी में सुनिश्चित करनी है। अतःआपसे विनम्र निवेदन है कि कृपया उपरोक्त सातों बिंदुओं को अवलोकन करने की कृपा करें। जिसको देखकर आप स्वयं सहमत होंगे कि इस आदेश से ग्राम पंचायत का विकास कार्य कितना प्रभावित होगया। बरसात आने वाली है समय रहते गांव गली में कार्य युद्ध स्तर पर करवाने की आवश्यकता है। अगर गांव में बृहद रूप में साफ सफाई स्वच्छता नहीं की गई तो बरसात में बीमारियों को फैलने का खतरा उत्पन्न होगा इस समय कृपया नए प्रयोग न किए जाएं अभी तमाम शासनादेशों का नियमों का सरलीकरण व शिथिलीकरण किए जाने की आवश्यकता है। ताकि विकास कार्य युद्ध स्तर पर हो सके। अतः आप से सादर निवेदन है कि कृपया पुनर्विचार कर उक्त आदेश को वापस लेने के कार्य कृपा करें।

राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर पाण्डेय (उत्तरप्रदेश)
ब्यूरो रिपोर्ट एजेंसी

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devendra

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