चौबारी मेले में गंगा तट पर विधि विधान से हवन-पूजन कर किया गया मेले का शुभारंभ
LIVE BHARAT TV न्यूज़ नेटवर्क

बरेली में रामगंगा के तट पर सोमवार शाम विधि विधान से हवन-पूजन के साथ चौबारी मेले का शुभारंभ हो किया गया। इस अवसर पर डीएम रविंद्र कुमार, एसएसपी अनुराग और्य मेयर उमेश गौतम, सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार, आदि मौजूद रहे। चौबारी मेले में खेल तमाशों, झूलों जैसे तमाम मनोरंजन के बीच घोड़ों का नखासा (बाजार) बहुत खास तरीके से आयोजित होता है। खास तौर से यहां होने वाली घोड़ों की दौड़ आकर्षण का केंद्र रहती है।
रामगंगा के किनारे लगे मेले में विभिन्न प्रांतों से तरह-तरह की नस्ल और रंग के घोड़े आए हैं। यह नखासा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा घोड़ों का बाजार होता है। कई राज्य में से इसमें खास तौर से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश के बटेश्वर, देवा शरीफ से खास नस्लों के घोड़े आते हैं, जो एक से से तीन लाख रुपये तक के बिकते हैं।
चौबारी मेले में बालूतर, पंजाब, काठियावाड़, पाकिस्तान बॉर्डर सिंध कच्छ, काबुल के साथ कई देशी नस्लों के घोड़ों की भी खूब मांग रहती है। घोड़ों का रंग भी खास अहमियत रखता है। इनमें सबसे अधिक टेलिया कुंबैत (काले बाल), श्वेत (सफेद), अबलख (काली-सफेद चित्तीदार), लाल और आम हुम हमरंग (पूरा एक रंग का) जैसे रंगों के घोड़ों की मांग रहती है।
इसी तरह मेले में दुकानों का बाजार भी सज गया है। इसमें घर में इस्तेमाल होने वाली हर चीज यहां उपलब्ध होती है। वहीं मनोरंजन के लिए जहां विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े झूले हैं, वहीं मिनी सर्कस और जादू के तमाशे लग गए हैं। मेले के लिए तमाम सुरक्षा व्यवस्था के भी इंतजाम किए गए हैं। एक तरफ पुलिस बल की तैनाती रहेगी,वहीं पिछली बार की तरह मेला मैदान पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। चौबारी मेला में सुरक्षा व यातायात व्यवस्था के मद्देनजर एसपी सिटी मानुष पारीक ने रामगंगा घाट का स्थलीय निरीक्षण किया। एसएसपी के निर्देश पर चौबारी मेला को सकुशल कराने के लिए पुलिस विभाग ने भी काफी तैयारी की है।
यूं तो चौबारी मेले का कोई इतिहास नहीं है, फिर भी यह काफी मशहूर मेला है। लगभग सौ साल से लग रहे इस मेले की खास बात यह है कि इसमें देसीपन बरकरार है। शहरी संस्कृति का रंग आज भी इस मेले पर नहीं चढ़ा है। यह अलग बात है कि खानपान की चीजों में कुछ नया मिलने लगा है। फिर भी मेला अपनी परंपरागत भाव को समेटे हुए है।
इस मेले के बारे में मेला कमेटी के लोगों ने बस इतना बताया कि यह मेला 1925 में शुरू हुआ था। इस तरह यह मेला अब 100वें साल में प्रवेश कर रहा है। 99 साल पहले इसकी शुरुआत जगत सिंह के वंशजों ने की थी। इतना जरूर पता चला कि राजा जगत सिंह अपने शासन काल में गंगा मेला शुरू किया था जो बाद में बंद हो गया और बाद में फिर से शुरुआत हुई। बताते हैं कि बाद में इस मेले को प्रशासन ने अपने हाथ में ले लिया। तब से वही इस मेले को सजा रहा है। अलबत्ता इस मेले को 11 लाख रुपये में प्रशासन ने मेला कमेटी को ठेका दे दिया है। वहीं इस इस मेले को व्यवस्थित करते हैं। इस मेले आस पास के अलावा आंवला, भमोरा, क्यारा, रामनगर, समेत आस पास के तमाम गांवों से लोग मेले में आते हैं। खरीदारी करते हैं और गंगा स्नान भी करते हैं। वही इस बार जिला प्रशासन की ओर से मेले में साफ सफाई को लेकर कर्मचारियों को तैनात किया गया है वहीं मेले की व्यवस्थाओं को लेकर जनपद के तमाम अधिकारी चौबारी मेले में निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया है संबंधित कर्मचारी को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं वही मेले की सुरक्षा दृष्टिकोण से व्यवस्था के लिए मेले में पुलिस सहायता के लिए कंट्रोल रूम की व्यवस्था की जाने की बात कही गई है
ब्यूरो रिपोर्ट एजेंसी