“पहलगांव आतंकी हमला भारत की आत्मा पर प्रहार” – अधिवक्ता परिषद ने पीएम को सौंपा नौ सूत्रीय ज्ञापन

बरेली। जम्मू-कश्मीर के पहलगांव में हुए बर्बर आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में आक्रोश की लहर है। इस हमले ने एक बार फिर देश की आंतरिक सुरक्षा, धार्मिक सहिष्णुता और मानवता को गहरा झटका दिया है। बुधवार को बरेली में अधिवक्ता परिषद ब्रज क्षेत्र की बरेली इकाई ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक नौ सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में परिषद ने इस हमले को ‘भारत की आत्मा पर हमला’ करार देते हुए कहा कि— “यह सिर्फ कुछ लोगों की हत्या नहीं थी, यह भारत की धार्मिक विविधता, पर्यटन की सुरक्षा और नागरिकों की आजादी पर संगठित हमला था।”
आक्रोश का कारण:
परिषद के अनुसार, इस हमले में निर्दोष नागरिकों को पहले उनके धर्म के आधार पर चिह्नित किया गया। हिन्दू यात्रियों से नाम पूछे गए, उनके कपड़े उतरवाए गए और फिर उन्हें गोलियों से भून दिया गया। यह साफ तौर पर लक्षित सांप्रदायिक हिंसा थी, जिसकी जितनी निंदा की जाए, कम है।
पाकिस्तान की संलिप्तता:
ज्ञापन में कहा गया कि इस हमले की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की संलिप्तता स्पष्ट रूप से नजर आती है। परिषद ने मांग की कि सरकार इस हमले को ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’ मानते हुए पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर निर्णायक कार्रवाई करे।
ज्ञापन में उठाई गई 9 ठोस मांगे:
1. हमले की निष्पक्ष, स्वतंत्र और गहन जांच हो तथा दोषियों को त्वरित और सख्त सजा दी जाए। पाकिस्तान की भूमिका की व्यापक जांच कर उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब किया जाए। सभी सक्रिय आतंकी संगठनों की पहचान कर उन्हें प्रतिबंधित और समाप्त किया जाए।आतंकियों की आर्थिक मदद करने वाले स्रोतों को पूरी तरह खत्म किया जाए। सीमाओं की सुरक्षा को अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया जाए। मृतकों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा और सुरक्षित पुनर्वास की सुविधा दी जाए। आतंकवाद विरोधी राष्ट्रव्यापी जनजागरूकता अभियान चलाया जाए। वक्फ बोर्ड सहित उन संस्थाओं की जांच हो जिन पर हमले में संलिप्तता का शक हो। सुरक्षाबलों को आधुनिक हथियार, तकनीकी संसाधन और विशेष प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए।ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रमुख अधिवक्ताओं में परिषद के ब्रज संरक्षक पूरन लाल प्रजापति, बरेली इकाई के जिलाध्यक्ष ओमपाल सिंह, महामंत्री हजारीलाल, कोषाध्यक्ष नवीन शर्मा, गौरव सिंह राठौर सहित दर्जनों अधिवक्ता मौजूद रहे।
ज्ञापन के अंत में परिषद ने कहा—“यह समय संवेदना प्रकट करने का नहीं, निर्णायक कार्रवाई का है। आतंकवाद के खिलाफ अब केवल शब्द नहीं, सशक्त और संगठित राष्ट्रीय नीति चाहिए।”