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ब्लैकआउट मॉक ड्रिल: युद्ध जैसे हालात में कैसे बचें, बरेली बना आपदा जागरूकता का मॉडल

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बरेली। युद्ध, ब्लैकआउट या किसी भी आपातकालीन स्थिति में आम जनता को सतर्क और सुरक्षित रखने के उद्देश्य से मंगलवार को बरेली में एक वृहद स्तर की मॉक ड्रिल आयोजित की गई। यह अभ्यास भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) और आसपास के क्षेत्रों में किया गया, जिसमें सेना जैसी सटीकता और प्रशासनिक गंभीरता देखने को मिली।

उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर आयोजित इस मॉक ड्रिल की निगरानी मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल, जिलाधिकारी अविनाश सिंह और एडीएम नगर सौरभ दुबे ने की। आपदा प्रबंधन, सुरक्षा एजेंसियों, मेडिकल टीमों, फायर ब्रिगेड, एनसीसी कैडेट्स और नागरिक सुरक्षा विभाग ने इसमें सक्रिय भागीदारी की।

आपदा की घड़ी में जीवनरक्षक मार्गदर्शिका: क्या करें, क्या न करें

ड्रिल के दौरान विशेषज्ञों ने नागरिकों को बताया कि युद्ध जैसी परिस्थिति में जान और माल की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। यह जानकारी सिर्फ सैद्धांतिक नहीं, बल्कि व्यवहारिक और जमीनी हकीकत से जुड़ी थी।

क्या करें:

सभी आवश्यक दस्तावेजों (आधार, जमीन संबंधी कागजात, बैंक डिटेल्स) को एक तत्काल बैग में रखें।

घर में एक इमरजेंसी किट तैयार रखें जिसमें फर्स्ट एड, टॉर्च, बैटरियां, सूखा खाद्य सामग्री और नकदी शामिल हो।

मोबाइल और पावर बैंक सदैव चार्ज रखें।

केवल सरकारी सूचना स्रोतों से जानकारी लें, अफवाहों से बचें।

अपने क्षेत्र के निकटतम शरण स्थल या बंकर की जानकारी रखें।

बच्चों, बुजुर्गों और विकलांगों के लिए अलग सुरक्षा योजना बनाएं।

संकट आने पर मजबूत दीवारों या सुरक्षित क्षेत्रों में शरण लें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।

क्या न करें:

सोशल मीडिया पर असत्यापित सूचनाएं न फैलाएं।

अफवाहों या डर फैलाने वाली बातों पर विश्वास न करें।

बिना योजना के बाहर न निकलें।

किसी भी संदिग्ध वस्तु या विस्फोटक जैसी चीज़ को न छुएं—सीधे प्रशासन को सूचित करें।

भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से बचें; जब तक आवश्यक न हो, घर से बाहर न निकलें।

प्रशासनिक सजगता और जनभागीदारी का अनूठा संगम

इस मॉक ड्रिल में मुख्य विकास अधिकारी जग प्रवेश, नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य, बीडीए उपाध्यक्ष मनीकंडन ए, राजेश कुमार (उप नियंत्रक, नागरिक सुरक्षा) सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। एनसीसी कैडेट्स, शिक्षकगण और आपदा मित्रों की भागीदारी ने इसे एक सामूहिक जन-संवेदनशील प्रयास बना दिया।

जागरूकता से जीत: संकट में सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार

यह अभ्यास न केवल प्रशासनिक तैयारी की झलक था, बल्कि आम नागरिकों को जागरूक और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त और प्रेरणादायक कदम भी था। बरेली की यह पहल दर्शाती है कि जब जनता और प्रशासन एकजुट हों, तो किसी भी संकट का सामना मजबूती से किया जा सकता है।

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devendra

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