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रेल संरक्षा और यात्री सुविधा पर दो दिवसीय मंथन शुरू

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बरेली। पूर्वोत्तर रेलवे की इंजीनियरिंग शाखा की कार्यप्रणाली, संरचनात्मक मजबूती और यात्री सुविधाओं के उन्नयन को लेकर दो दिवसीय वरिष्ठ मंडल इंजीनियर सम्मेलन शुक्रवार को बरेली स्थित इंजीनियरिंग विभाग के मंथन सभागार में शुरू हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महाप्रबंधक सौम्या माथुर ने रेलवे संरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि कोई भी कार्य शॉर्टकट से नहीं किया जाना चाहिए।

महाप्रबंधक ने कहा कि पटरियों, पुलों, समपारों और अन्य ढांचागत व्यवस्थाओं का समय-समय पर निरीक्षण और समुचित रख-रखाव बेहद आवश्यक है। मानसून के दृष्टिगत विशेष सतर्कता बरतने और कार्यस्थलों पर सभी सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ट्रैक मशीनों की कार्यक्षमता बनाए रखने, कार्यस्थलों पर श्रमिकों व आवश्यक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने और सभी निर्माण कार्य समयबद्ध तरीके से पूरे करने की दिशा में गंभीरता से काम किया जाए।

गेटमैनों को दें नियमित प्रशिक्षण, कर्मचारियों को मिले जरूरी संसाधन

सम्मेलन को संबोधित करते हुए सौम्या माथुर ने यह भी कहा कि समपार फाटकों पर तैनात गेटमैनों को समय-समय पर प्रशिक्षण देकर उन्हें आपात स्थितियों से निपटने में दक्ष बनाया जाना चाहिए। साथ ही कर्मचारियों को वर्दी, सुरक्षा जैकेट, रेनकोट और औद्योगिक जूते जैसी बुनियादी सुविधाएं समय पर उपलब्ध कराना अनिवार्य है।

उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में रेल पटरियों के किनारे रहने वाले नागरिकों को रेल संरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने पर भी बल दिया।

संरक्षा मानकों की गहराई से समीक्षा

सम्मेलन में प्रमुख मुख्य इंजीनियर नीलमणि ने रेलवे संरक्षा से जुड़े तकनीकी और प्रशासनिक पहलुओं की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने कहा कि संरक्षा मानकों का प्रभावी क्रियान्वयन रेलवे के सुचारु संचालन की रीढ़ है, और इसके लिए हर स्तर पर गंभीरता बरतनी जरूरी है।

तीन मंडलों के वरिष्ठ इंजीनियर शामिल

इस सम्मेलन में इज्जतनगर, लखनऊ और वाराणसी मंडल के वरिष्ठ मंडल इंजीनियरों सहित रेलवे मुख्यालय के उच्चाधिकारी मौजूद रहे। सभी ने अपने-अपने मंडल की संरक्षा व्यवस्था, ढांचागत परियोजनाओं और कार्यों की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की।

सम्मेलन 14 जून को होगा संपन्न

सम्मेलन का समापन 14 जून को होगा, जिसमें समपार फाटक, पुलों, बजट प्रावधानों और निर्माण से जुड़े अन्य पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।

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