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मनरेगा घोटाला: 40.26 लाख की गड़बड़ी पर बीडीओ के वित्तीय अधिकार निलंबित

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बरेली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में फर्जीवाड़े का बड़ा मामला उजागर हुआ है। भदपुरा ब्लॉक में 40.26 लाख रुपये की अनियमित निकासी और उच्चाधिकारियों के आदेशों की अनदेखी के चलते खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) आशीष पाल के सभी वित्तीय अधिकार तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए गए हैं। यही नहीं, राज्य स्तर से उनका डिजिटल डोंगल (डिजिटल सिग्नेचर डिवाइस) भी डिलीट कर दिया गया है।

जवाब नहीं दिया, आदेशों की अवहेलना की—गंभीर अनुशासनहीनता मानी गई

मनरेगा की प्रशासनिक मद में अनुमन्य सीमा से अधिक निकासी का मामला सामने आने के बाद, बीडीओ को 2 जुलाई को आदेश जारी कर 7 दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा गया था। लेकिन तय समयसीमा तक कोई जवाब न मिलने पर आयुक्त ग्राम्य विकास कार्यालय ने यह कार्रवाई की। अधिकारियों ने इसे अधिकारों की अवहेलना, अनुशासनहीनता और स्वेच्छाचारिता की श्रेणी में माना।

संयुक्त आयुक्त मनरेगा संजय कुमार पांडेय की संस्तुति पर कार्रवाई अमल में लाई गई, जिसकी पुष्टि डीसी मनरेगा हबीब अंसारी ने की है।

बहेड़ी तहसील के गांव नौली में खुला नया घोटाला

मनरेगा घोटाले की आंच सिर्फ भदपुरा तक सीमित नहीं रही। बरेली की बहेड़ी तहसील के गांव नौली में भी घोटालों की परतें खुलीं। लोकपाल मनरेगा शिशुपाल सिंह मौर्य की 19 जून को हुई जांच में सामने आया कि:

फर्जी फोटो से हाजिरी लगाकर ₹10,080 का भुगतान

जॉब कार्ड में हेराफेरी कर ₹48,702 की निकासी

सीआईबी बोर्ड के नाम पर ₹40,000 की अनियमितता

किसान की शिकायत से हुआ पर्दाफाश 

यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब गांव नौली के किसान हरप्रसाद ने 13 मई को मनरेगा कार्यों में गड़बड़ी की लिखित शिकायत की थी। शिकायत के बाद लोकपाल ने कई बार बीडीओ को रिमाइंडर भेजे, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया।

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