पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर प्रत्याशियों में बढ़ी बेचैनी

बरेली। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज होती जा रही हैं, लेकिन आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने से प्रत्याशियों में बेचैनी और असमंजस की स्थिति बन गई है। ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक दावेदारी की तैयारी में जुटे लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह बन गई है कि कौन सी सीट किस वर्ग के लिए आरक्षित होगी।
संभावित प्रत्याशी परेशान, दावेदारी पर असमंजस
आरक्षण की स्थिति साफ न होने से कई संभावित उम्मीदवार: सीट बदलने का मन बना रहे हैं, पूर्व सीट बचाने को लेकर चिंतित हैं, स्वयं गणनाएं कर अनुमान लगा रहे हैं कि इस बार किस सीट पर किस वर्ग का आरक्षण लगेगा
गांवों में इस विषय पर लगातार चर्चाएं हो रही हैं और प्रत्याशी स्थानीय अधिकारियों से आरक्षण की जानकारी लेने विकास भवन के चक्कर काट रहे हैं।
डीपीआरओ ने क्या कहा?
जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) कमल किशोर ने स्पष्ट किया कि: “आरक्षण की अंतिम सूची अभी शासन स्तर से जारी नहीं हुई है। प्रक्रिया चल रही है, और इसमें समय लगेगा। जब तक सूची नहीं आती, तब तक कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी जा सकती।” इस बयान के बाद भी प्रत्याशियों की बेचैनी थम नहीं रही है। कई लोग अब भी सत्ता के समीकरण और पिछली आरक्षण सूची के आधार पर भविष्य की रणनीति तय करने में जुटे हैं।
राजनीतिक समीकरणों पर सीधा असर
ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक आरक्षण ही चुनावी गणित की नींव है। सीट का आरक्षित या अनारक्षित होना ही तय करेगा कि कौन उम्मीदवार मैदान में रहेगा और किसे पीछे हटना पड़ेगा। इस अनिश्चितता के दौर में प्रत्याशी सिर्फ अनुमान के सहारे प्रचार की योजना बना रहे हैं, जो उनके लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है।
अब निगाहें शासन से आने वाली सूची पर
जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है, आरक्षण सूची को लेकर उत्सुकता और焦虑 दोनों बढ़ रहे हैं। प्रत्याशियों की मांग है कि शासन जल्द से जल्द स्पष्ट स्थिति सामने लाए ताकि वे समय रहते अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे सकें।