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भड़की हिंसा के बाद प्रशासन ने लिया कड़ा फैसला, विपक्ष की आवाज़ दबाने का आरोप सपा का 

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लखनऊ। बरेली में 26 सितंबर को नमाज के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर समाजवादी पार्टी का 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पीड़ितों से मिलने और हालात का जायजा लेने के लिए आज बरेली जाने वाला था। लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस की सख्ती के चलते प्रतिनिधिमंडल की यात्रा रोक दी गई। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय को हाउस अरेस्ट किया गया, जबकि अन्य नेताओं को नोटिस थमा कर यात्रा पर रोक लगा दी गई।

प्रशासन की सख्ती… कोई राजनीतिक प्रवेश नहीं

बरेली के जिलाधिकारी ने शनिवार को सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किया कि जिले में किसी भी राजनीतिक व्यक्तियों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। पत्र में कहा गया कि हाल के दंगों के बाद सुरक्षा बनाए रखना प्राथमिकता है। हिंसा में कई लोग घायल हुए और मौलाना तौकीर रजा समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिससे जिले का माहौल संवेदनशील बना हुआ है।

माता प्रसाद पांडेय हाउस अरेस्ट

पीजीआई थाने की पुलिस ने माता प्रसाद पांडेय के आवास को घेर लिया और भारी फोर्स तैनात कर उनके बाहर निकलने पर रोक लगा दी। पांडेय ने कहा, “पुलिस मुझे इतनी सख्ती से देख रही है जैसे मैं कोई अपराधी हूँ। सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए विपक्ष पर दबाव बना रही है।”

अखिलेश यादव का बयान

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर कहा कि बरेली जाने पर रोक प्रशासन की लापरवाही को दबाने की साजिश है। उन्होंने मांग की कि पूरे प्रशासनिक अमले को निलंबित किया जाए और लापरवाही के लिए मुकदमा दर्ज किया जाए। यादव ने कहा, “भाजपा हार चुकी है, अब विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।”

प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख नेता

माता प्रसाद पांडेय, सपा प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल, सांसद हरेंद्र मलिक, रुचि वीरा, विधान परिषद नेता प्रतिपक्ष, लाल बिहारी यादव, कुल 14 सदस्य

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