तालाबों पर अवैध अतिक्रमण को लेकर हाई कोर्ट सख्त

प्रयागराज। तालाबों और जलाशयों से अतिक्रमण हटाने का आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा, ‘जल ही जीवन है, इसके बिना जीवन संभव नहीं है। हर कीमत पर जल बचाएं।’ हींचलाल तिवारी केस (2001) का हवाला देते हुए कहा, ‘सर्वोच्च न्यायालय ने देश में तालाबों, जलाशयों, जलस्रोतों आदि को संरक्षित करने का आदेश दिया है। दुखद है कि बावजूद अतिक्रमण हटाने की मांग में याचिकाएं आए दिन आ रही हैं।’
कोर्ट ने कहा, तालाबों पर जहां भी अतिक्रमण हो तो यह ग्राम प्रधान का दायित्व है कि वह इसकी सूचना तहसीलदार को दे। कोर्ट ने डीएम तथा एसडीएम को लापरवाह ग्राम प्रधानों को हटाने की कार्रवाई की भी छूट दी है। कहा है कि जो तहसीलदार धारा 67 की कार्रवाई तय नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकलपीठ ने कोर्ट ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, आयुक्तों, जिलाधिकारियों, जिलाधिकारियों तहसीलदारों, समिति के अध्यक्ष व सचिवों को अनुपालनार्थ भेजने का निर्देश दिया है।
पंचायतों में तालाब जलाशयों से प्रयागराज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रदेश की ग्राम अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि भूमि प्रबंधन समितियों के अध्यक्ष ग्राम प्रधान व सचिव लेखपाल यहां हुए अतिक्रमण की सूचना संबंधित तहसीलदार को दें, ताकि वह राजस्व संहिता की धारा 67 की कार्रवाई कर इसे अवैध कब्जेदारों को बेदखल कर इसके मूल स्वरूप में बहाल करा सकें। जिलाधिकारियों व उप जिलाधिकारियों को कानून की अवहेलना करने तथा विधिक दायित्व न निभाने वाले भूमि प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ कदाचार की विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश भी दिए। कोर्ट ने कहा है कि अध्यक्ष व सचिव अतिक्रमण की सूचना नहीं देते तो यह आपराधिक न्यास भंग, षड्यंत्र में शामिल होना व अवैध कब्जे के लिए उकसाने का अपराध माना जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की
एकलपीठ ने गांव चौंका, चुनार,
मीरजापुर निवासी मनोज कुमार सिंह की जनहित याचिका पर दिए। याचिका में तालाब से अवैध कब्जा हटाने की मांग की थी। सरकार ने बताया कि धारा 67 राजस्व संहिता की कार्रवाई चल रही है। कोर्ट ने कहा, इसे जल्द पूरा करें।