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रोज़ की तरह गया था मजदूरी पर, पर लौटा लाश बनकर, टंकी से गिरकर मजदूर की मौत

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बरेली। निर्माण स्थल पर मौत का कहर! जल निगम की ऊंची पानी की टंकी पर काम करते हुए सोमवार को एक युवा मजदूर की जिंदगी अचानक थम गई। 50 फीट की ऊंचाई से फिसलकर गिरने से गंभीर रूप से घायल हुए बरेली निवासी श्री ओम (25) ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। यह दर्दनाक हादसा हरदोई के शाहाबाद क्षेत्र में हुआ, जिसने न सिर्फ परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि पूरे गांव में मातम की लहर दौड़ा दी। इकलौते कमाऊ सदस्य की मौत से पत्नी और तीन छोटे बच्चों का भविष्य अंधेरे में डूब गया। ग्रामीणों ने प्रशासन से फौरी मुआवजे की गुहार लगाई है।

हादसे की जगह, नगला नाथा गांव में जल निगम का निर्माण कार्य

घटना हरदोई जनपद के थाना शाहाबाद क्षेत्र अंतर्गत नगला नाथा गांव की है। यहां जल निगम विभाग द्वारा एक विशाल पानी की टंकी का निर्माण चल रहा है, जो ग्रामीणों के लिए पानी की समस्या दूर करने का वादा लेकर आया था, लेकिन अब यह मौत का गवाह बन गया। मजदूर श्री ओम, जो मूल रूप से बरेली जिले के थाना विशारतगंज क्षेत्र के मुशर्रफपुर गांव के रहने वाले थे, टंकी पर ऊंचाई पर काम कर रहे थे। अचानक उनका पैर फिसला और वे सीधे नीचे जा गिरे। यह हादसा दोपहर के समय हुआ, जब साइट पर अन्य मजदूर भी मौजूद थे।

 अफरा-तफरी और घायल की हालत

50 फीट की खतरनाक ऊंचाई से गिरने पर श्री ओम के शरीर पर गंभीर चोटें आईं, जिनमें सिर और रीढ़ की हड्डी में गहरी क्षति शामिल थी। घटना देखकर साथी मजदूरों में हड़कंप मच गया। काम तुरंत रोक दिया गया और घायल को किसी तरह नीचे उतारा गया। मौके पर मौजूद ठेकेदार और साथियों ने परिजनों को फोन कर सूचना दी। ग्रामीणों ने बताया कि सुरक्षा उपकरणों की कमी ने हादसे को और भयावह बना दिया। “ऊंचाई पर काम करते वक्त हेलमेट और सेफ्टी बेल्ट जरूरी होते हैं, लेकिन यहां लापरवाही साफ दिखी,” एक स्थानीय मजदूर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा।

 रास्ते में तोड़ा दम, परिवार का विलाप

परिजन जैसे-तैसे मौके पर पहुंचे और श्री ओम को एंबुलेंस की मदद से बरेली के निजी अस्पताल ले जाने लगे। लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया,रास्ते में ही उनकी सांसें थम गईं। डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। घर लौटते ही पत्नी सुमन का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। “सुबह चाय पीकर गए थे, कहा था शाम को बच्चों के लिए कुछ लाएंगे, अब क्या होगा हमारा?” सुमन की चीखें आसपास गूंज रही थीं। श्री ओम के तीन बच्चे दो बेटियां और एक बेटा, सभी 5 साल से कम उम्र के अब अनाथ जैसे हो गए। परिवार के इकलौते कमाऊ पूत की मौत ने घर को आर्थिक संकट में धकेल दिया। दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर श्री ओम रोजाना 400-500 रुपये कमाते थे, जो अब बंद हो गए।

गांव में मातम, मुआवजे की मांग

खबर फैलते ही मुशर्रफपुर गांव में सन्नाटा पसर गया। पड़ोसी और रिश्तेदारों का तांता लग गया, लेकिन हर चेहरे पर दुख और गुस्सा साफ था। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ठेकेदार सुरक्षा मानकों की अनदेखी करता है, जिससे ऐसे हादसे आम हो गए हैं। “प्रशासन को चाहिए कि परिवार को कम से कम 10-20 लाख का मुआवजा दे, साथ ही बच्चों की पढ़ाई और पत्नी की नौकरी का इंतजाम करे,” गांव के पूर्व प्रधान राम सिंह ने कहा। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है और जांच शुरू कर दी है। जल निगम के अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया।

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