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“अगर पाकिस्तान न बंटा होता तो मुसलमान प्रधानमंत्री होता” मौलाना रज़वी का बड़ा बयान

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बरेली। समाजवादी पार्टी के संभल विधायक इकबाल महमूद के बयान पर नया सियासी बवाल छिड़ गया है। विधायक ने कहा था कि “अगर पाकिस्तान का बंटवारा नहीं हुआ होता तो हिंदुस्तान में मुसलमान भी प्रधानमंत्री बन सकता था।” उनके इस बयान का समर्थन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने किया है।

रविवार को जारी बयान में मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा “जहां जिसकी आबादी ज़्यादा होती है, वही मनमाने अंदाज़ में हुकूमत करता है। कम आबादी वाले को हमेशा दबाया जाता है। अगर अखंड भारत यानी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश भी भारत का हिस्सा होते, तो आज देश का प्रधानमंत्री मुसलमान हो सकता था।”

“आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी होनी चाहिए”

मौलाना रज़वी ने कहा कि 1947 से अब तक देश में कोई मुसलमान प्रधानमंत्री नहीं बन पाया, और इसकी वजह आबादी का अनुपात है।

“जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी होनी चाहिए। आबादी कम होने के कारण मुसलमान प्रधानमंत्री नहीं बन सका। जब तक आबादी कम रहेगी, तब तक देश का प्रधानमंत्री मुसलमान नहीं बन पाएगा।”

उन्होंने कहा कि आज भी देश में लोकतंत्र कायम है, लेकिन समान भागीदारी के सिद्धांत पर गंभीर विचार की जरूरत है।

 बयान पर सियासी सरगर्मी

सपा विधायक इकबाल महमूद के बयान के बाद सियासी हलकों में बहस तेज हो गई है। भाजपा नेता जहां इसे “विभाजनकारी सोच” करार दे रहे हैं, वहीं मुस्लिम संगठनों ने इसे “ऐतिहासिक तथ्य और जनसांख्यिकीय हकीकत” बताया है।

 क्या कहा था सपा विधायक इकबाल महमूद ने

संभल के सपा विधायक ने हाल ही में कहा था “अगर 1947 में पाकिस्तान का बंटवारा नहीं हुआ होता, तो हिंदुस्तान में मुसलमान भी प्रधानमंत्री बन सकता था। विभाजन ने मुसलमानों की राजनीतिक ताकत को कमजोर कर दिया।”

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