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लर्निंग इकोसिस्टम में ह्यूमनाइजिंग टेक्नोलॉजी: रुहेलखंड विश्वविद्यालय में आज से मंथन

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बरेली। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में 5 और 6 दिसंबर को आईसीएसएसआर एवं शिक्षा मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ आज शुक्रवार को होगा। ह्यूमनाइजिंग टेक्नोलॉजी इन लर्निंग इकोसिस्टम्स विषय पर देशभर से आए शिक्षाविद और शोधकर्ता विचार-विमर्श करेंगे। इस आयोजन में शिक्षा में उभरती तकनीकों, नये नवाचारों और उनके मानवीय दृष्टिकोण पर विशेष चर्चा होगी।

शुभारंभ सत्र

संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र सुबह 11 बजे प्रबंधन संकाय स्थित प्रो. एस.वी. सिंह ऑडिटोरियम में होगा। इसमें 300 से अधिक प्रतिभागियों के शामिल होने की संभावना है। देश के विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों के विद्वान भी अलग-अलग सत्रों में अपने शोध और विचार प्रस्तुत करेंगे।

ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों माध्यम में आयोजित होगी संगोष्ठी

आयोजन ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यम से संचालित किया जाएगा। विभाग स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आयोजन सचिव डॉ. रामबाबू सिंह ने बताया कि अतिथियों के स्वागत और सत्रों के संचालन के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। उनका कहना है कि विद्वानों के विचार भविष्य की शिक्षा प्रणाली के सुधार में कारगर साबित होंगे और आगामी शोधों के लिए नई दिशाएं प्रदान करेंगे।

आयोजन टीम

इस संगोष्ठी में मुख्य भूमिका प्रो. संतोष अरोड़ा, सेमिनार डायरेक्टर डॉ. मीनाक्षी द्विवेदी, संयोजक सहित विभाग के सभी शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी निभा रहे हैं।

संगोष्ठी का उद्देश्य

संगोष्ठी का केंद्रबिंदु शिक्षा 5.0 की अवधारणा और उसके व्यावहारिक उपयोग पर आधारित है। मुख्य उद्देश्यों में, शिक्षा 5.0 के सिद्धांतों को समझाना एवं प्रस्तुत करना।

शिक्षा में प्रौद्योगिकी के मानवीकरण के लिए नई रणनीतियों की खोज। उभरती तकनीकों को समावेशी और नैतिक शैक्षिक लक्ष्यों से जोड़ने के उपाय तलाशना। एआई और डिजिटल उपकरणों के नैतिक, मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षणिक प्रभावों पर विमर्श। शिक्षा 5.0 वातावरण से संबंधित इनोवेटिव प्रथाओं और केस स्टडीज साझा करना। शिक्षक, शिक्षार्थी और प्रौद्योगिकी की भूमिकाओं पर अंतर-अनुशासनात्मक संवाद को बढ़ावा देना। भावी शैक्षिक नीति और व्यावहारिक सुधारों के लिए नए विचार उत्पन्न करना।

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