महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेलवे ट्रैक पर 16 मजदूरों की मौत एक बेहद दर्दनाक त्रासदी ÷ गामेंद्र सिंह गजरौलिया

बिजनौर।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 16 मजदूरों को एक मालगाड़ी कुचलते हुए चली गई इस घटना को भारतीय बौद्ध संघ के जिला अध्यक्ष गामेंद्र सिंह गजरौलिया ने एक दर्दनाक त्रासदी बताया और इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया।
गामेंद्र सिंह गजराैलिया ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा की भारतीय रेलवे की क्षमता हर दिन लगभग 15000 ट्रेन चलाने की है भारतीय रेलवे को आदेश मिलता तो वह मात्र 2 दिन में 4 करोड़ मजदूरों को उनके घर पहुंचा सकती थी। मगर सरकार ने मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की सही व्यवस्था नहीं की और सड़कों पर पुलिस लगा दी पुलिस के डर से मजदूर सड़कों के बजाय रेलवे ट्रक से गुजरने लगे जो बेहद खतरनाक साबित हुआ अतः 16 मजदूर अपनी जान गवा बैठे केंद्र व राज्य सरकारें मजदूरों को घर पहुंचाने में नाकाम साबित हुई।
जिला अध्यक्ष गामेंद्र सिंह गजरौलिया ने आगे कहा की कोविड-19 त्रासदी के बीच मजदूरों का यूं मरना भी एक बड़ी त्रासदी है। मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं, क्योंकि वह भूख से परेशान हैं लेकिन पूंजीपति लोग उन्हें जाने देना नहीं चाहते। सरकारें पूंजीपतियों का साथ दे रही है, इसलिए सरकारों ने मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया सरकारों की बेरुखी के बाद मजदूर पैदल ही सड़कों पर निकले हुए हैं और लगातार हादसों का शिकार हो रहे हैं।
गामेंद्र सिंह गजरौलिया ने आगे कहा की तेलंगाना के मुख्यमंत्री बधाई के पात्र हैं जिन्होंने मजदूरों को नकद भुगतान के साथ खाद सामग्री मुफ्त में देने का वादा किया तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि हर मजदूर उनके परिवार का सदस्य है उनकी हर समस्या को दूर करना मेरी सरकार की पहली प्राथमिकता है मेरी सरकार किसी भी मजदूर को भूखा नहीं रहने देगी और हर मजदूर को नकद भुगतान देकर उसकी आर्थिक सहायता की जाएगी। अतः देश के हर राज्य का मुख्यमंत्री तेलंगाना सरकार से सबक ले हर मजदूर को मुफ्त राशन के साथ आर्थिक सहायता भी करें, तो मजदूरों की जान बचाई जा सकती है।
बिजनौर से फहीम अख्तर की रिपोर्ट