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लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने के आसार धूमिल

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.लद्दाख में भारत और चीन सीमा पर दोनो देशों के सैनिकों के पीछे हटने के मुद्दे पर गतिरोध बरकरार है। रक्षा और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो सीमा की सुरक्षा के लिए लद्दाख में स्थायी तौर पर बड़ी सैन्य तैनाती रखनी पड़ सकती है। समाधान के बारे में पूछने पर दोनों मंत्रालयों के अधिकारी जवाब देते हैं कि यह तो चीन पर निर्भर करेगा। हालांकि हर दिन की सैन्य तैनाती पर करीब 100 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। सैन्य कूटनीति के एक जानकार का कहना है कि देश की संप्रभुता की रक्षा करनी है तो अब इसे सहन करना ही पड़ेगा। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ रंजीत कुमार भी कहते हैं कि लग रहा है यह लंबे समय का मुद्दा बन गया है। चीन बार-बार सीमा पर शांति और सौहार्द के उपायों पर सहमत होता है, अपने सैनिकों को पीछे ले जाने के लिए तैयार होता है, लेकिन बाद में मुकर जाता है। विदेश मंत्रालय और कूटनीति के जानकारों का भी कहना है कि इस मामले में भारत एकतरफा सैन्य बलों को कम करने का जोखिम नहीं उठा सकता। जो भी होगा वह दोनों देशों द्वारा आपस में बनी सहमति का पालन करने से होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव का भी कहना है कि यह जगजाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय समझौते और सहमति का पालन किसने नहीं किया है? किसने एकतरफा कार्रवाई करके लद्दाख में स्थिति को बदलने की कोशिश की है? जब तक चीन सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नहीं दर्शाता, इस तरह की स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता। अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार भारत हमेशा पड़ोसियों से मधुर रिश्ते का पक्षधर रहा है और अंतरराष्ट्रीय सहमति, समझौते तथा प्रक्रिया का पालन करने में विश्वास रखता है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले, जारी रहेगी वार्ता

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि भारतीय सैन्य कमांडरों ने पिछले एक साल के दौरान अपने चीनी समकक्षों के साथ नौ दौर की वार्ता की और ये भविष्य में भी जारी रहेगी। हालांकि जयशंकर ने कहा कि वार्ता में बनी सहमति पर चीन की तरफ से जमीनी स्तर पर कोई अमल नहीं हुआ। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने भी वार्ता में बनी सहमति के आधार पर एक से अधिक बार भारत और चीन की फौज के पीछे हटने की संभावना जताई, लेकिन हर बार स्थिति ‘ढाक के तीन पात’ रही
चार फरवरी को राज्यसभा में भी विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्व स्थिति में एकतरफा बदलाव करने की कोशिश करके क्षेत्र में शांति को भंग किया है। भारतीय सशस्त्र बलों ने इन प्रयासों का माकूल जवाब दिया है और चीनी पक्ष को स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी एकतरफा कोशिश कतई स्वीकार नहीं की जाएगी।
 न्यूज़ एजेंसी p t i
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devendra

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