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स्मार्ट सिटी की सड़कें बनीं जानलेवा, बीच रास्ते खड़े पोल बन रहे हादसों की वजह

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बरेली। स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर की सड़कों को चौड़ा तो कर दिया गया, लेकिन बिजली और टेलीफोन के पोल अब भी सड़क के बीचों-बीच खड़े हैं। ये पोल तेज़ रफ्तार वाहनों के लिए खतरा बन चुके हैं। हर दिन कई वाहन इनसे टकरा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अफसर एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ कर पल्ला झाड़ रहे हैं।

नाथ कॉरिडोर, सिविल लाइंस, जनकपुरी, गांधीनगर, प्रेमनगर, बीडीए कॉलोनी, बन्नूवाल नगर, पीलीभीत बाइपास जैसी कई प्रमुख सड़कों पर पोल बीच रास्ते अड़े हैं। विभागों की लेटलतीफी और बजट के बहाने इन खतरनाक पोलों को हटाने का काम अब तक अधर में लटका हुआ है।

कागजों पर चौड़ी हुई सड़क, ज़मीनी हकीकत में बीच रास्ते पोल

नाथ कॉरिडोर परियोजना के तहत 37.77 करोड़ रुपये खर्च कर सड़कों का चौड़ीकरण किया गया है। लेकिन निर्माण के बाद बिजली और टेलीफोन के खंभे हटाना भूल गए। वाहन चालकों को लगता है सड़क खुली और चौड़ी है, लेकिन रात के अंधेरे में ये पोल अदृश्य खतरा बन जाते हैं।

सिविल लाइंस में बड़ा डाकखाना से विंडर मेयर चौराहा, गांधीनगर से जनकपुरी रोड, प्रेमनगर-बीडीए रोड, पीलीभीत बाइपास, और बन्नूवाल नगर — सभी जगहों पर यही हालत देखने को मिलती है।

बजट और जिम्मेदारी का खेल, जनता भुगत रही मुसीबत

बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता ब्रह्मपाल सिंह का कहना है कि:

“पोल हटाने का एस्टीमेट प्रशासन को भेजा जा चुका है। बजट मिलने पर ही पोल शिफ्ट किए जा सकेंगे।

वहीं लोक निर्माण विभाग का कहना है कि:

“हमारी जिम्मेदारी सड़क निर्माण तक सीमित थी। पोल हटाना बिजली विभाग का काम है।”

इतना ही नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि बजट पर्यटन विभाग देगा या कोई और विभाग। नतीजा ये कि फाइलें इधर-उधर घूम रही हैं और शहरवासी खतरों के साये में सफर कर रहे हैं।

जनता की मांग: अब टालमटोल नहीं, हटें जानलेवा पोल

शहरवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि अधिकारी कागजी कार्रवाई छोड़कर ज़मीनी काम करें, और इन जानलेवा खंभों को जल्द हटवाएं। स्मार्ट सिटी का सपना तब ही साकार होगा, जब योजनाएं कागजों से निकलकर ज़मीन पर सुरक्षित रूप से लागू हों।

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