
बरेली। कानून की आड़ लेकर कानून को ठगने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। लखनऊ के एक युवक ने वकील के साथी और उसके परिचित पर संगठित तरीके से जमानत की रकम हड़पने का आरोप लगाया है। मामला किसी सामान्य लेन-देन का नहीं, बल्कि अदालत में पेश की गई एक लाख रुपये की जमानत एफडीआर का है, जिसे कोर्ट से रिलीज होने से पहले ही गुपचुप तरीके से कैश करा लिया गया।
कैसे रचा गया खेल?
लखनऊ के विकास नगर निवासी अंकित सिंघल पुत्र राधारमन सिंघल का मुकदमा एसीजेएम प्रथम, बरेली की अदालत में चल रहा था। आरोप है कि उनके वकील के पुत्र (सह-वकील) ने अपने परिचित तरुण कुमार सक्सेना निवासी मलूकपुर के माध्यम से जमानत कराई।
जमानत राशि एक लाख रुपये 7 मार्च 2014 को बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में जमा कराई गई, जिसे बाद में तरुण के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। मुकदमे का निस्तारण 20 मार्च 2024 को हुआ, लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि जमानत की एफडीआर कोर्ट से रिलीज होने से पहले ही तरुण सक्सेना ने चुपचाप भुना ली। चौंकाने वाली बात यह कि बैंक रिकॉर्ड में यह एफडीआर मौजूद ही नहीं है, जबकि इसकी मूल प्रति अभी भी पीड़ित के पास सुरक्षित है।
रकम लौटाने से इंकार
पीड़ित के अनुसार, यह रकम मुकदमे की जमानत के लिए थी, जो केस खत्म होने के बाद वापस मिलनी चाहिए थी। लेकिन कई बार मांगने के बावजूद दोनों आरोपी रकम लौटाने से इंकार करते रहे और टाल-मटोल करते रहे।
पुलिस में मामला दर्ज
अंकित ने थाना कोतवाली में तहरीर देकर आरोपियों पर जमानत की रकम हड़पने और साक्ष्य छुपाने का आरोप लगाया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह गंभीर वित्तीय धोखाधड़ी का मामला है और आरोपियों के खिलाफ जल्द कड़ी कार्रवाई की जाएगी।