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बरेली की बेटियां चमकीं दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय मंच पर: ओपन कुकीवॉन कप में 14 योद्धाओं ने लहराया परचम

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बरेली। बरेली की धरती से निकलीं होनहार बेटियां और बेटे एक बार फिर दुनिया के सामने चमके! राजधानी दिल्ली में 9 से 12 अक्टूबर तक चले अंतरराष्ट्रीय ओपन कुकीवॉन कप में बरेली के 14 मार्शल आर्ट्स खिलाड़ियों ने धमाकेदार प्रदर्शन कर स्वर्ण, रजत और कांस्य पदकों की झड़ी लगा दी। यह जीत न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि आत्मरक्षा की कला में बेटियों की बढ़ती भागीदारी का प्रतीक भी है। जिलाधिकारी ने विजेताओं को सम्मानित कर हर बेटी को आत्मरक्षा सीखने का संदेश दिया।

 जिलाधिकारी का सम्मान और प्रोत्साहन: 5 हजार रुपये की राशि का ऐलान

सोमवार को विजेता खिलाड़ियों ने जिलाधिकारी अविनाश सिंह से मुलाकात की। डीएम ने सभी को हार्दिक बधाई दी और प्रत्येक पदक विजेता को 5-5 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। बेटियों की यह भागीदारी पूरे जिले के लिए गर्व की बात है। हर बच्ची को आत्मरक्षा की कला सीखनी चाहिए, ताकि वे न केवल मजबूत बनें, बल्कि समाज में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें।”

यह सम्मान समारोह बरेली के लिए एक प्रेरणा बन गया, जहां कोचों की मेहनत को भी सराहा गया। जिलाधिकारी ने कोच मोहम्मद अकमल खान, साक्षी बोरा और जगमोहन पटेल की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी समर्पित ट्रेनिंग ने बरेली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। कोचों को विशेष सम्मान पत्र और प्रशंसा मिली।

बरेली के चमकते सितारे: पदकों की पूरी लिस्ट

बरेली के इन योद्धाओं ने कुकीवॉन की विभिन्न कैटेगरी में कमाल दिखाया। यहां देखिए उनके शानदार प्रदर्शन की झलक:

-माही गंगवार: 3 स्वर्ण पदक और 1 कांस्य, सबसे ज्यादा चमकीं!

-निशु भारद्वाज: रजत और कांस्य।

– शुभम रौतेला: रजत पदक।

– अधृत श्रीवास्तव: स्वर्ण पदक।

– करण कुमार कनौजिया: स्वर्ण और कांस्य।

– भानु प्रताप सिंह: स्वर्ण और रजत।

– सांची सिंह: स्वर्ण पदक।

– माधुरी: स्वर्ण और कांस्य।

– आरोही: रजत पदक।

– परिक्रमा: रजत पदक।

– जोया खान: रजत पदक।

– साजात: कांस्य पदक।

– तवेज कुमार: स्वर्ण पदक।

– रूप : रजत और कांस्य।

इनमें कई बेटियां शामिल हैं, जिन्होंने न केवल पदक जीते, बल्कि मार्शल आर्ट्स में महिलाओं की ताकत को साबित किया। कुल मिलाकर, बरेली टीम ने दर्जनों पदक अपने नाम कर इतिहास रचा।

 आत्मरक्षा का संदेश: बेटियों के लिए नई क्रांति

यह जीत सिर्फ खेल की नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की भी है। जिलाधिकारी के शब्दों में, “आत्मरक्षा हर बेटी का अधिकार है।” बरेली में अब मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग को बढ़ावा देने की योजनाएं बन रही हैं, ताकि ज्यादा बच्चे इस कला से जुड़ें। कोच अकमल खान ने कहा, “ये बच्चे महीनों की कड़ी मेहनत का नतीजा हैं। दिल्ली में दुनिया भर के खिलाड़ियों से मुकाबला कर उन्होंने साबित किया कि बरेली का talent किसी से कम नहीं।”

बरेली प्रशासन ने वादा किया है कि भविष्य में ऐसे खिलाड़ियों को और सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। यह खबर पूरे उत्तर प्रदेश के लिए प्रेरणादायक है – बेटियां बचाओ, बेटियां पढ़ाओ के साथ अब ‘बेटियां लड़ाओ’ का नारा भी गूंज रहा है!

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