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सीएमओ कार्यालय में अव्यवस्था चरम पर, दिव्यांगों के लिए न कुर्सियां, न खुला गेट

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बरेली। जिला अस्पताल स्थित सीएमओ कार्यालय में सोमवार को अव्यवस्था का आलम दिखा। दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाने पहुंचे सैकड़ों दिव्यांगों के लिए न बैठने की व्यवस्था थी, न ही सड़क की ओर खुलने वाला गेट खोला गया। कई दिव्यांग फर्श पर लेटे या दीवार का सहारा लेकर बैठे नजर आए, जबकि उनके परिजन धक्के खाकर भी उन्हें संभालते रहे।

हर सोमवार बनता है अफरा-तफरी का माहौल

हर सोमवार को सीएमओ कार्यालय में दिव्यांगों के प्रमाणपत्र के लिए मेडिकल बोर्ड बैठता है। पूरे जिले से दिव्यांग और उनके परिजन बड़ी उम्मीद लेकर यहां पहुंचते हैं, लेकिन व्यवस्था हर बार फेल साबित होती है। ना लाइन में खड़े होने के लिए कुर्सियां, ना कोई अलग व्यवस्था, बस भीड़ और अफरा-तफरी।

मरीजों की हालत देख पसीज उठा दिल, फिर भी सिस्टम मौन

मीरगंज की 18 वर्षीय दिव्यांग युवती, जो दोनों पैरों से चलने में असमर्थ थी, अपनी मां की गोद में लेटी थी।प्रमाणपत्र बनवाने की उम्मीद में वह सुबह से लाइन में थी, लेकिन व्यवस्था नदारद रही। भीड़ के धक्कों में कई बुजुर्ग दिव्यांग भी गिरते-पड़ते रहे, कुछ को ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा था।

सीएमओ के निर्देश रहे कागज़ों तक सीमित

पूर्व में सीएमओ ने आदेश दिया था कि दिव्यांगों की सुविधा के लिए सड़क की ओर का गेट खोला जाए और बैठने की व्यवस्था की जाए, लेकिन सोमवार को आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं। न कुर्सियां लगीं, न गेट खोला गया, जिससे दिव्यांगों को मुख्य अस्पताल गेट से घूमकर दिक्कत झेलनी पड़ी।

मानवता पर सवाल, जिम्मेदारों की चुप्पी

हर सोमवार इसी तरह की स्थिति बनती है, फिर भी सिस्टम के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।

स्वयं दिव्यांगों ने कहा कि अगर यह हाल सीएमओ कार्यालय का है, तो बाकी जगहों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

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