एबीवीपी हंगामे से गरमाया निगम, राजनीतिक दबाव में लेने की कोशिश की चर्चा

बरेली। नगर निगम में एबीवीपी कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हंगामे और सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के बाद अब पूरे घटनाक्रम को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सूत्रों का कहना है कि यह पूरा प्रकरण सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हुआ, जिसके जरिए मौजूदा नगर आयुक्त संजय कुमार मौर्य को भी राजनीतिक दबाव में लेने की कोशिश की गई।
शनिवार को निगम परिसर में कर्मचारियों के बीच इसी मुद्दे पर चर्चा होती रही। एक ओर सफाई कर्मियों का धरना चल रहा था, वहीं दूसरी ओर पार्क में बैठे कुछ कर्मचारी पूरे घटनाक्रम की तह तक जाने की कोशिश कर रहे थे।
कर्मचारियों का एक धड़ा साफ कहता नजर आया कि “पूरा मामला पहले से तय और योजना के तहत रचा गया षड्यंत्र था।”
बिल भुगतान से शुरू हुआ विवाद, अगले दिन मचा बवाल
जानकारी के मुताबिक, विवाद की जड़ स्मार्ट सिटी ऑडिटोरियम को लेकर है। नगर निगम ने एबीवीपी से वहां कार्यक्रम आयोजित करने पर निर्धारित शुल्क का भुगतान करने को कहा था।
एबीवीपी ने शुक्रवार को भुगतान तो कर दिया, लेकिन अगले ही दिन नगर निगम में “भ्रष्टाचार” और “प्रबंधन की मनमानी” का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया।
इसी दौरान निगम कर्मियों से उनकी नोकझोंक और धक्का-मुक्की हुई, जिसके बाद सफाई कर्मियों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया।
कर्मचारियों का मानना है कि यह पूरी कार्रवाई सुनियोजित थी और इसका उद्देश्य नगर आयुक्त को राजनीतिक रूप से कमजोर करना था।
पूर्व में भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब किसी नगर आयुक्त को दबाव में लेने की कोशिश की गई हो। वर्ष 2018 में तत्कालीन नगर आयुक्त सैमुअल पाल एन के कार्यकाल में पार्षदों और अधिकारियों के बीच टकराव हुआ था। पार्षद कई दिनों तक धरने पर बैठे रहे, जिसके बाद मामला मुकदमेबाजी तक पहुंच गया था।
वर्ष 2023-24 में ठेकेदारों ने भुगतान न होने के आरोप लगाकर निगम परिसर में धरना दे दिया था।अब एबीवीपी कार्यकर्ताओं द्वारा हंगामा भी उसी श्रृंखला का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसमें राजनीतिक दबाव बनाकर निर्णयों को प्रभावित करने की कोशिश की गई।
सत्ताधारी दल के एक प्रतिनिधि पर भी उठे सवाल
सूत्रों का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में सत्ताधारी दल के एक जनप्रतिनिधि की परोक्ष भूमिका हो सकती है।हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि किसी भी स्तर पर नहीं हुई है, मगर निगमकर्मियों के बीच यह चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि “हंगामे के पीछे केवल छात्र संगठन नहीं, बल्कि राजनीतिक मंशा भी छिपी हुई है।”
निगम में सन्नाटा, अंदरखाने मंथन जारी
घटना के बाद नगर निगम में अंदरखाने मंथन जारी है।अधिकारी और कर्मचारी दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि यदि इस तरह के “राजनीतिक हंगामे” पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो निगम की कार्यप्रणाली पर गहरा असर पड़ेगा।






