नगर निगम हंगामा: ठेकेदार पर हुई कार्रवाई से शुरू हुआ को लेकर उठे सवाल क्या पहले से तय था

बरेली। नगर निगम में हंगामा के पीछे एक जनप्रतिनिधि द्वारा सबकुछ पहले से ही तय किए जाने की कयासबाजी तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि चहेते ठेकेदार द्वारा किए गए कार्य में गुणवत्ता खराब मिलने के बाद निगम प्रशासन द्वारा की गई जुर्माना की कार्रवाई जनप्रतिनिधि को रास नहीं आई।
इसके बाद ही नगर आयुक्त के विरुद्ध षडयंत्र रचा गया। मगर, हंगामे के बाद निगम कर्मियों द्वारा ही खुद के अपमान होने की बात कहते हुए हड़ताल पर जाने से मामला उल्टा पड़ गया। जिसके बाद मानों वह अपने ही चले दांव में फंस गए। इधर, पूरे प्रकरण की एक-एक बिंदुओं को लेकर शासन ने भी रिपोर्ट मांग ली है।
शहर में चल रहे निर्माण कार्यों और सफाई व्यवस्था का बीते दिनों हाल देखने निकले नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य को अधिकतर जगह खामियां हावी मिली। इस पर उन्होंने संबंधित क्षेत्र के अभियंताओं और सफाई निरीक्षकों को तलब कर फटकार लगाते हुए गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ नहीं करने और भविष्य में लापरवाही मिलने पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी।
इसके बाद कुछ परियोजनाओं में ठेकेदार द्वारा लापरवाही जारी रखने पर नगर आयुक्त ने कार्यदायी संस्थाओं पर जुर्माने की कार्रवाई की। साथ ही कई कार्यों में गुणवत्ता सुधरने तक भुगतान रोकने के निर्देश दिए। साथ ही अलग-अलग क्षेत्रों में कूड़ा फैला रहे लोगों के विरुद्ध जुर्माना लगा दिया गया। इसमें भी एक-दो लोगों के सत्ताधरी दल से जुड़े जनप्रतिनिधि के करीबी होने की बात कही जा रही।
चहेते ठेकेदारों और कूड़ा फैलाने वाले कुछ लोगों पर हुई कार्रवाई जनप्रतिनिधि को नागवर गुजरी। नगर निगम में बैठे निगमकर्मियों और कुछ पार्षदों के मध्य हो रही इस तरह की चर्चा मानों पूरे प्रकरण के जड़ को भी पकड़ने का दावा कर रही हो। फिलहाल रविवार को हड़ताल खत्म होने के बाद सबकुछ सामान्य करने को जोर लगाया जा रहा है।
नगर निगम में हुए हंगामा में एक जनप्रतिनिधि की भूमिका को लेकर कयासबाजी का दौर जारी
निगमकर्मियों के मुखरित होने से उल्टा पड़ता दिखा मामला, शासन ने भी मांगी पूरी रिपोर्ट






