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उत्तरप्रदेश

यूपी की मीट कंपनियों में कश्मीरी सिक्योरिटी गार्डों की तैनाती से हलचल…आतंकी फंडिंग के शक में सुरक्षा एजेंसियों ने बढ़ाई निगरानी, UPATS ने शुरू की जांच

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लखनऊ/बरेली। उत्तर प्रदेश की कई मीट एक्सपोर्ट कंपनियों में तैनात कश्मीरी मूल के सिक्योरिटी गार्ड अब सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ गए हैं। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को आयकर विभाग से मिली एक इनपुट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कुछ निजी सिक्योरिटी एजेंसियों के जरिए इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों को फंडिंग की आशंका सामने आई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मीट कंपनियों में काम कर रहे कश्मीरी ट्रांसलेटर्स की लोकेशन पाकिस्तान में ट्रेस हुई है।

सूत्रों के मुताबिक मेरठ, आगरा, बरेली और उन्नाव स्थित कई नामी मीट यूनिट इन इनपुट की जद में हैं। इसी आधार पर यूपी एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (UPATS) ने भी जांच शुरू कर दी है।

दिल्ली ब्लास्ट के बाद बढ़ा संदेह, बरेली की दो कंपनियां जांच में आईं रडार पर

दिल्ली ब्लास्ट केस में जांच का दायरा बढ़ाने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने जब वित्तीय और मानव संसाधन नेटवर्क खंगाला, तो बरेली की दो बड़ी मीट एक्सपोर्ट कंपनियां भी शक के घेरे में आ गईं। एजेंसी के इनपुट पर स्थानीय पुलिस की टीम ने जब इन कंपनियों में छानबीन की, तो पता चला कि यहां 27 कश्मीरी युवक सिक्योरिटी गार्ड के रूप में तैनात हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह मिली कि इन युवकों का स्थानीय पुलिस वेरिफिकेशन तक नहीं कराया गया था। सुरक्षा एजेंसियों के अलर्ट के बाद इस लापरवाही को बेहद गंभीर माना जा रहा है।

सिक्योरिटी एजेंसी का मालिक भी कश्मीर का निवासी

जांच में सामने आया कि जिन दो मीट व्यापारियों ने यह गार्ड तैनात कराए, वे एक निजी सिक्योरिटी कंपनी के माध्यम से लगाए गए थे—और उस एजेंसी का मालिक भी कश्मीर का ही रहने वाला है। इससे पूरे सेटअप पर सुरक्षा एजेंसियों का शक और गहरा हो गया है।

एलआईयू ने शुरू की गहन जांच, यात्रा एवं पुराने रिकॉर्ड खंगाले जा रहे

लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) ने सभी 27 युवकों की पहचान, पुराने रिकॉर्ड, उनके आने-जाने की गतिविधियों, मोबाइल लोकेशन और नेटवर्क की विस्तृत जांच शुरू कर दी है।

पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वे किस चैनल के जरिए यूपी पहुंचे?किसने इन्हें हायर कराया? क्या इनके पीछे कोई संगठित नेटवर्क सक्रिय है? फाइनेंशियल जांच भी तेज, बैंक खातों से डिजिटल लेनदेन तक स्कैन पर जांच सिर्फ पहचान तक सीमित नहीं है। टीम इन युवकों के बैंक खातों,यूपीआई व डिजिटल पेमेंट,रोजमर्रा के पैसों के लेनदेन सबकुछ खंगाल रही है। एजेंसियों को शक है कि कहीं इनकी आड़ में किसी संदिग्ध लोकेशन पर फंड ट्रांसफर तो नहीं हो रहा।

संवेदनशील मामला, जल्द अफसरों को मिल सकती है विस्तृत रिपोर्ट

पूरी जांच पूरी होने के बाद पुलिस उच्चाधिकारियों को विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी। शुरुआती इनपुट को देखते हुए पूरे मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बेहद संवेदनशील मुद्दा मानकर जांच तेज कर दी गई है।

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