बच्चों की 5 जानलेवा बीमारियों पर अब हाई-टेक डिजिटल निगरानी

बरेली। बच्चों को होने वाली पांच गंभीर और जानलेवा बीमारियों की पहचान, जांच और इलाज अब पहले से कहीं अधिक तेज़ और सटीक हो सकेगा। स्वास्थ्य विभाग ने AI जैसी डिजिटल मॉनिटरिंग व्यवस्था लागू करते हुए सभी मामलों को यूडीएसपी (Unified DCG Surveillance Platform) पर दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि जैसे ही किसी बच्चे में इन गंभीर बीमारियों का लक्षण मिलता है, चिकित्सक तत्काल उसका रिकॉर्ड पोर्टल पर अपलोड करेंगे और उसके इलाज से जुड़ी हर अपडेट सरकार और WHO की स्क्रीन पर रियल टाइम पहुंचेगी।
डिजिटल निगरानी कैसे बदलेगी व्यवस्था?
अब तक चिकित्सक मरीज का कार्ड बनाकर इलाज दर्ज करते थे।
लेकिन इसमें कई समस्याएं थीं, डॉक्टर की हैंडराइटिंग न समझ आने पर गलत जांच हो जाती थी। स्वास्थ्य विभाग समय पर स्क्रीनिंग नहीं कर पा रहा था, डेटा मैनुअल होने से बीमारी का वास्तविक फैलाव पकड़ में नहीं आता था
नई व्यवस्था में
जैसे ही चिकित्सक इलाज शुरू करेगा, डेटा यूडीएसपी पोर्टल पर अपलोड होगा। पोर्टल से लिंक लैब को तुरंत पता चल जाएगा कि किस मरीज की कौन-सी जांच करनी है। जांच रिपोर्ट भी पोर्टल पर उपलब्ध रहेगी, स्वास्थ्य विभाग और WHO रियल-टाइम मॉनिटरिंग कर सकेंगे इससे बीमारी की बढ़त, गिरावट और हॉटस्पॉट की स्थिति तुरंत पकड़ में आ जाएगी।
WHO भी देखेगा ‘बीमारियों का लाइव ग्राफ’
अब इन पांच बीमारियों से संबंधित हर केस का ग्राफ, ट्रेंड और फैलाव की गति WHO तक पहुंचेगी।
यह फायदे देगा, बीमारी बढ़ने पर तुरंत नियंत्रण उपाय लागू होंगे, वैक्सीन कवरेज किस क्षेत्र में कम है, तुरंत पता चलेगा, रोकथाम के इंतजाम में समय नहीं लगेगा
हर मरीज को मिलेगी यूनिक E-PID: भूल जाएं पर्चा, डाक्टर खुद देख लेंगे रिकॉर्ड
यूडीएसपी पोर्टल पर पंजीकरण होते ही हर बच्चे को एक E-PID (Electronic Patient ID) मिल जाएगी।
इससे लाभ, बच्चा जिले के किसी भी अस्पताल में इलाज करा सकेगा, डॉक्टर आईडी डालकर पूरी हिस्ट्री देख सकेंगे, पर्चा भूलने पर भी इलाज में दिक्कत नहीं होगी
जिले में 150 से ज्यादा अस्पताल कनेक्टेड
निगरानी के लिए लॉगिन आईडी प्रदान की गई है, जिला अस्पताल, 26 नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 36 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, 15 सीएचसी, 80 से अधिक पीएचसी सभी जगहों पर ट्रेनिंग भी पूरी कराई जा चुकी है।





