बरेली: एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय पहुंची उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
LIVE BHARAT TV न्यूज़ नेटवर्क

एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय महिला उद्यमी सम्मेलन को संबोधित किया
राज्यपाल ने महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा कि इसकी शुरुआत बेटियों से करनी चाहिए। गर्भ संस्कार के बारे में भी छात्रों को अवगत कराने को कहा। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय को डॉक्टरों और वैदिक आचार्यों के साथ मिलकर मंथन करने का सुझाव दिया। महिलाओं के मेनोपॉज से छात्राओं को रूबरू कराने के लिए पाठ्यक्रम बनाने के सुझाव दिए। कहा कि अगर छात्रा मेनोपॉज के बारे में समझेगी तो वह खुद की, मां-सास, बहन और परिवार की अन्य महिला सदस्यों की मदद करने में सक्षम होगी।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कक्षा पांच पास करने वाले बच्चों को बचपन से ही कौशल विकास का प्रशिक्षण देना चाहिए। छोटे-छोटे गुर सिखाने चाहिए ताकि बड़े होकर वह किसी भी कार्य में दक्षता हासिल कर रोजगार के विकल्प बना सकें। उन्होंने लड़कों के शैक्षिक स्तर में उच्च प्रदर्शन की क्षमता में गिरावट पर चिंता जताई।
छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन पर जताई चिंता
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में 80 फीसदी छात्राएं गोल्ड मेडल हासिल कर रही हैं, जबकि छात्रों की संख्या में महज 20 फीसदी है। कहा कि अगर छात्रों की स्थिति गिरती रही तो छात्र-छात्रा का सामंजस्य बिगड़ेगा, जो देश के विकास में बाधक होगा। छात्र-छात्रा दोनों को बेहतर प्रदर्शन कर सामान स्तर पर होना चाहिए। कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थियों से परिवार के अग्रज का सम्मान करने, बुजुर्ग माता-पिता का हर स्तर से मदद करने का सुझाव दिया।
कई परियोजनाओं का किया लोकार्पण
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दिशा की बैठक में पहुंचकर छात्र-छात्राओं को संबोधित किया। वहां से वह 10:35 बजे विश्वविद्यालय परिसर में पहुंच गईं। राज्यपाल ने रुहेलखंड इन्क्यूबेशन सेंटर, डिजिटल पांचाल म्यूजियम, एचडीएफसी ई लॉबी एंड ई-कार्नर, ईवी चार्जिंग प्वाइंट, डायरेक्टरेट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशनशिप ऑफिस भवन, यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स स्पोर्ट सेंटर, यादगार वन का लोकार्पण किया। साथ ही, सीएसआर फंड से प्राप्त डिजिटल एक्सरे मशीन, टीबी न्यूट्रिशनल सेल, विधि विभाग में सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा, सेंटर आफ मल्टीलिंगुअल का लोकार्पण किया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आयोजन में दो महिलाओं ने संघर्ष से बताया कि आज वे कहां से कहां पहुंच गईं हैं। आज से 40 से 50 साल पहले महिलाओं के लिए पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी। मैंने भी यह सब झेला है। अब समय बदल चुका है और महिलाएं अपने और परिवार का विकास कर सकती हैं। राज्यपाल यहां आने से पहले दिव्यांगजनों के एक स्कूल में पहुंचीं। वहां की महिला स्कूल संचालक ने बताया कि पति के देहांत के बाद बरेली स्थित मायके में आकर दिव्यांग बच्चों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। ब्यूरो रिपोर्ट एजेंसी