दिव्यांगों के सपनों की तिजारत शाहजहांपुर के परिवार को कश्मीर ईंट-भट्ठे पर बेचने का सनसनीखेज आरोप
ईंट पथाई के नाम पर कश्मीरी भट्ठा मालिक को 5 लाख में बेचा, गहने और मोबाइल देकर जान बचाकर लौटे पीड़ित

शाहजहांपुर/नवाबगंज। श्रमिकों के शोषण की एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। खुटार थाना क्षेत्र के ग्राम गुरधिया निवासी शाहजहां बेगम ने नवाबगंज कोतवाली में दी गई तहरीर में आरोप लगाया है कि कुछ लोगों ने उसे और उसके दिव्यांग परिवार को काम दिलाने के नाम पर कश्मीर ले जाकर वहां के एक ईंट-भट्ठा मालिक को पाँच लाख रुपये में बेच दिया।
पीड़िता के मुताबिक, एक माह पूर्व नगर के रिछौला किफायतुल्लाह गांव निवासी बन्ने, छोटे खां, रिज़वान और जहरा नामक व्यक्तियों से मुलाकात हुई थी। उन्होंने शाहजहां बेगम को बताया कि वे कश्मीर में ईंट पथाई का काम अच्छे दामों में दिलवा सकते हैं। विश्वास में लेकर वह अपने परिवार सहित कारुआ गांव के 10–12 महिला-पुरुषों को साथ लेकर उनके बताए पते पर पहुंची।
गंभीर बात यह है कि शाहजहां बेगम के परिवार में कई सदस्य श्रवण एवं वाणी बाधित (दिव्यांग) हैं, जिन्हें धोखे से कश्मीर के 709 मार्का भट्ठे पर भेजा गया। कुछ दिन तक काम करने के बाद जब खर्चे के लिए भट्ठा मालिक हबीबुल्लाह से रुपये मांगे गए, तो उसने सच्चाई से पर्दा हटाते हुए कहा”तुम्हें लाने वालों को मैं पहले ही 5 लाख रुपये दे चुका हूँ, अब तुम यहीं काम करोगे।”
यह सुनकर पीड़ित परिवार के होश उड़ गए। उन्होंने किसी तरह गिड़गिड़ा कर अपने पास मौजूद गहने, मोबाइल और अन्य कीमती सामान देकर जान बचाई और वहां से भाग निकले। जब वे रिछौला लौटे और आरोपियों से जवाब मांगा तो उन्होंने गालियाँ दीं, धमकी दी और मारपीट पर आमादा हो गए।
घटना से आहत होकर शाहजहां बेगम ने नवाबगंज कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पूरे मामले ने मानव तस्करी और श्रमिकों के नाम पर चल रहे संभावित गिरोह की ओर इशारा किया है।
अब सवाल यह है कि क्या देश में आज भी गरीब और दिव्यांगों की बोली लगती है? क्या मज़दूरी के नाम पर भरोसे को बेच देने वालों पर कठोर कार्रवाई होगी?