87 बिजली अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई का आदेश। 27 मई को पावर कारपोरेशन अध्यक्ष

लखनऊ बिजली कंपनियों के निजीकरण का विरोध कर रहे अभियंताओं की गतिविधियों पर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन पैनी नजर रखे हुए है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अध्यक्ष ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चल रही समीक्षा बैठक बीच में छोड़ने वाले 87 अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश प्रबंध निदेशकों को दिए हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रबंधन के इस आदेश पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि किसी भी बिजली कार्मिक को दंडित किया गया तो तीखी प्रतिक्रिया होगी।
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष कुमार गोयल ने 27 मई को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभागीय समीक्षा बैठक की थी। बैठक चल रही थी इसी बीच 87 अभियंता चले गए। अध्यक्ष संघर्ष समिति ने कहा, बिजली कार्मिकों को दंडित किया तो होगी तीखी प्रतिक्रिया ने अपने आदेश में लिखा है कि समीक्षा बैठक बीच में छोड़ना अनुशासनहीनता है। बैठक में शामिल रहे अधिकारी (अभियंता) जो बीच में ही चले गए थे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
अध्यक्ष ने प्रबंध निदेशकों से तीन दिन के अंदर कार्रवाई ‘करते हुए इसकी रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है। बैठक छोड़ने वालों में दक्षिणांचल के 17, पूर्वांचल के 17, मध्यांचल के 20 तथा पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के 33 अभियंता शामिल हैं।
उघर, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों ने 87 अभियंताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने के अध्यक्ष के फैसले को एकतरफा बताया है। पदाधिकारियों ने बताया है कि अध्यक्ष के आदेश के बाद कुछ प्रबंध निदेशकों ने भी इसी तरह के आदेश जारी किए हैं जिसमें बिजली कार्मिकों का एक दिन का वेतन रोकने का आदेश भी शामिल है। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि अध्यक्ष ऊर्जा निगमों पर हड़ताल थोपने का प्रयास कर रहे हैं। ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति फैलाने के नए रास्ते तलाश रहे हैं।
पदाधिकारियों ने कहा है कि पिछले छह माह से निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन में बिजली कार्मिकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। विद्युत दोषों को प्राथमिकता पर ठीक करने के लिए कहा गया है। 7 मई को इन 87 अभियंताओं ने उपभोक्ता सेवा को प्राथमिकता देते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया था।