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उत्तरप्रदेशबरेली

ऑनलाइन घूस लेता पकड़ा गया जिला समन्वयक, आंगनबाड़ी भर्ती घोटाले में सीओ सिटी की जांच में खुलासा

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बरेली। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अंतर्गत नियुक्ति प्रक्रिया में द्वितीय नगर क्षेत्राधिकारी (सीओ सिटी) की जांच में यह सामने आया है कि जिला समन्वयक धर्मपाल सिंह ने नियुक्ति के एवज में एक महिला से दो लाख रुपये की घूस ली थी, जिसमें कुछ रकम ऑनलाइन लेन-देन के जरिए प्राप्त की गई।

यह मामला उस वक्त उजागर हुआ जब मढ़ीनाथ निवासी विभा रानी पत्नी सचिन ने 6 मई 2025 को एसएसपी अनुराग आर्य से शिकायत कर कार्यवाही की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि बाल विकास परियोजना में रिक्त पद पर चयन कराने के नाम पर जिला समन्वयक ने उनसे नकद व ऑनलाइन मिलाकर दो लाख रुपये वसूले, बावजूद इसके उनका चयन नहीं हुआ।

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से हुआ घोटाले का पर्दाफाश

सीओ सिटी अजय कुमार की जांच में यह साबित हुआ कि 22 जुलाई 2024 को धर्मपाल सिंह ने विभा रानी के पति सचिन से 19 हजार रुपये अपने खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर कराए। बाद में 28 मार्च 2025 को उन्होंने 6 हजार रुपये वापस भी किए।इस लेन-देन की पुष्टि के बाद जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उपायुक्त स्वतः रोजगार को जांच अधिकारी नियुक्त कर विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं।

डीएम बोले – दोषियों पर कड़ी कार्रवाई तय

डीएम अविनाश सिंह ने बताया कि सीओ सिटी की जांच में रिश्वतखोरी के संकेत स्पष्ट मिले हैं। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि मामले की स्वतंत्र विभागीय जांच कराई जाए। साथ ही आरोपी धर्मपाल सिंह की आउटसोर्सिंग सेवा की भी जांच कराई जा रही है। सोमवार को अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

पहले भी उजागर हो चुका है फर्जीवाड़ा

गौरतलब है कि अप्रैल 2025 में जिले में 311 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पदों पर भर्ती हुई थी। डीएम द्वारा कराई गई जांच में पाया गया कि 21 चयनित अभ्यर्थियों के आय और निवास प्रमाणपत्र फर्जी थे, जिनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई। इस घोटाले में तीन लेखपालों को निलंबित किया गया जबकि सात अन्य के खिलाफ विभागीय कार्यवाही जारी है।

डीपीओ ने जिला समन्वयक से पूछे ये तीखे सवाल

जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) ने आरोपी धर्मपाल सिंह से जवाब मांगा है कि डीपीओ के नाम पर चयन के बदले धन वसूली क्यों की गई?पुलिस की विवेचना से अवगत होने के बावजूद विभाग को सूचना क्यों नहीं दी?

सचिन से 19 हजार रुपये क्यों लिए और बाद में 6 हजार रुपये क्यों लौटाए?

इस पर धर्मपाल सिंह का बचाव है कि उन्होंने सचिन से केवल उधार के रूप में पैसे लिए थे, जिसका बाद में हिसाब कर लिया गया।

अब निगाहें जांच रिपोर्ट और प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकीं

शहर भर में इस घोटाले को लेकर चर्चा है और बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। अब सबकी निगाहें डीएम द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट और आरोपी पर होने वाली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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