रिटायर्ड प्रोफेसर को बनाया ‘डिजिटल कैदी’: पुलिस और सीबीआई अफसर बनकर साइबर ठगों ने की ठगी की कोशिश, पत्नी की सतर्कता से बची रकम

बरेली। साइबर अपराधी अब ठगी के लिए पुलिस और सीबीआई जैसे सुरक्षा एजेंसियों की फर्जी पहचान का सहारा लेकर लोगों को मानसिक रूप से डराने और आर्थिक नुकसान पहुंचाने का नया तरीका अपना रहे हैं। बरेली में एक रिटायर्ड प्रोफेसर को ‘डिजिटल अरेस्ट’ में लेकर एक घंटे तक धमकाया गया। शुक्र है कि प्रोफेसर की पत्नी की सतर्कता ने एक बड़ी ठगी को होने से बचा लिया।
“आपका नंबर ब्लॉक होने वाला है” — ट्राई के नाम पर कॉल से शुरू हुई धमकी
बरेली कॉलेज के कॉमर्स विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजीव मेहरोत्रा सोमवार सुबह जब अपने राजेंद्र नगर स्थित घर में थे, तभी उनके मोबाइल पर एक अनजान कॉल आई। कॉल उठाते ही एक ऑटोमेटेड मैसेज सुनाई दिया “आपका नंबर दो घंटे में ट्राई द्वारा ब्लॉक कर दिया जाएगा।”
इसके बाद कॉल पर एक महिला जुड़ी, जिसने खुद को किसी सरकारी एजेंसी से बताया और गंभीर लहजे में प्रोफेसर से बात शुरू की।
“आपके आधार से सिम जारी, जिससे अपराध हो रहा है” — अपराधी की स्क्रिप्ट
महिला ने प्रोफेसर को डराते हुए कहा कि 4 अक्टूबर को उनके आधार नंबर से एक सिम कार्ड जारी किया गया है, जिसका इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों में हो रहा है। इसके बाद कॉल ‘अजय नामक सीनियर मैनेजर’ को ट्रांसफर कर दी गई, जिसने कथित तौर पर कोलाबा पुलिस स्टेशन (महाराष्ट्र) का हवाला दिया और एक फर्जी इंस्पेक्टर से बात करवाई।
“पुलिस आपके घर आ रही है” — एक घंटे तक मानसिक उत्पीड़न
करीब एक घंटे तक प्रोफेसर मेहरोत्रा से यह कहा जाता रहा कि वे गंभीर मामले में फंसे हैं और पुलिस किसी भी वक्त उनके घर पहुंच सकती है। कॉल पर बार-बार दोहराया गया “आप अपराधी हैं, भाग नहीं सकते। पुलिस आधे घंटे में आपके घर पहुंच रही है।”
इस डरावने माहौल में प्रोफेसर मानसिक रूप से काफी परेशान हो गए।
पत्नी की सूझबूझ ने बचाया ठगी से
इसी दौरान प्रोफेसर की पत्नी को बातचीत कुछ संदिग्ध लगी। उन्होंने तुरंत अपने बेटे को पूरे मामले की जानकारी दी। बेटे ने फौरन मोबाइल का इंटरनेट बंद कराया और कॉल कटवाया। इससे साइबर ठगों की ठगी की योजना विफल हो गई।
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट स्कैम’?
साइबर ठग एक ऑटोमेटेड कॉल और फर्जी सरकारी अफसर बनकर व्यक्ति को डराते हैं। वे कहते हैं कि आप किसी अपराध में फंस चुके हैं और पुलिस जल्द आपके घर पहुंचने वाली है। इस डर से लोग अपनी गोपनीय जानकारी या बैंक डिटेल्स साझा कर बैठते हैं, जिससे उनके खाते खाली हो जाते हैं।