“कांवड़ लेने मत जाना…” कविता पर गरमाई सियासत, अखिलेश यादव ने साधा निशाना — बोले, शिक्षक पर केस और स्कूल बंद… क्या यही है अमृतकाल?

बरेली। बहेड़ी के एमजीएम इंटर कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता डॉ. रजनीश गंगवार द्वारा स्कूल की प्रार्थना सभा में सुनाई गई एक कविता पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगने के बाद मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है।
शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने और विवाद बढ़ने के बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए सवाल उठाया “शिक्षक पर एफआईआर और स्कूल बंद… क्या भाजपा के लिए यही है अमृतकाल?”
कविता बनी विवाद की वजह
12 जुलाई को विद्यालय की प्रार्थना सभा में डॉ. गंगवार ने छात्रों को “कांवड़ लेने मत जाना, ज्ञान का दीप जलाना…” शीर्षक से एक कविता सुनाई थी।
इस कविता में कांवड़ यात्रा, शिक्षा और नशे जैसे विषयों को लेकर कुछ पंक्तियों पर महाकाल सेवा समिति ने आपत्ति जताई। समिति के अध्यक्ष सचिन प्रजापति ने इसे हिंदू आस्था का अपमान बताते हुए 14 जुलाई को बहेड़ी कोतवाली में शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
बहेड़ी के क्षेत्राधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि शिक्षक के खिलाफ धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच जारी है।
विद्यालय प्रशासन ने क्या कहा?
कॉलेज के प्रधानाचार्य अशोक कुमार गंगवार ने कहा कि “विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति लगातार कम हो रही थी क्योंकि कई छात्र कांवड़ यात्रा में शामिल हो जाते हैं। शिक्षक ने बच्चों को नियमित पढ़ाई के लिए प्रेरित करने हेतु कविता सुनाई थी। हालांकि, उन्हें ऐसी कोई बात नहीं कहनी चाहिए जिससे किसी धर्म की भावना आहत हो।विद्यालय ने डॉ. गंगवार से लिखित स्पष्टीकरण भी मांगा है।
शिक्षक की सफाई और क्षमा याचना
डॉ. रजनीश गंगवार ने वीडियो संदेश जारी कर कहा “मेरा उद्देश्य केवल यह था कि छात्र विद्यालय में नियमित आएं, नशे जैसी बुराइयों से बचें और भीड़-भाड़ से दूर रहें। मेरी मंशा किसी धर्म का अपमान करने की नहीं थी। यदि मेरी किसी बात से किसी की भावना आहत हुई हो, तो मैं क्षमा चाहता हूं।उन्होंने यह भी बताया कि वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में पीएचडी, आकाशवाणी और दूरदर्शन के मान्यता प्राप्त कवि और स्वच्छ भारत मिशन के पूर्व ब्रांड एंबेसडर हैं।
सियासी हलचल तेज
शिक्षक पर कार्रवाई के बाद विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया तेज हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा “शिक्षक पर एफआईआर और स्कूल बंद हो रहे हैं… क्या यही है अमृतकाल? भाजपा तय करे कि उसे शिक्षा चाहिए या दिखावटी धार्मिक आयोजन।”
समाज में उभरा बड़ा सवाल
यह मामला अब सिर्फ एक शिक्षक और कविता तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि शिक्षा बनाम आस्था, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम धार्मिक असहिष्णुता की गहरी बहस को जन्म दे चुका है।
क्या एक शिक्षक का शिक्षा के प्रति प्रेरणा देना अपराध माना जाएगा? क्या विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अब सीमित होती जा रही है?