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बाघ से भिड़े 17 साल के नीलेश और हरवंश, दोस्त की जान बचाने के लिए दांव पर लगाई ज़िंदगी

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पीलीभीत। एक ओर खूंखार बाघ… दूसरी ओर 17 साल का लड़का और उसका दोस्त। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां न्यूरिया क्षेत्र में बाघ ने पहले एक महिला को निशाना बनाया, फिर दो किशोरों पर हमला कर दिया। लेकिन इन बच्चों ने जो किया, वह किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था।
नीलेश और हरवंश, दोनों दोस्तों ने बाघ से भिड़कर न सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि एक-दूसरे की भी जान जोखिम में डालकर हिम्मत की मिसाल पेश की।

“बाघ की गर्दन पकड़ी… तभी बचा सका खुद को” – घायल नीलेश की ज़ुबानी

गांव मंडरिया निवासी नीलेश और उसका साथी हरवंश रोज की तरह खेत में घास काटने जा रहे थे।
सुबह करीब साढ़े सात बजे, गन्ने के खेत में छिपे बाघ ने उन पर झपट्टा मारा। “बाघ सामने आया तो कुछ सोच नहीं पाया। उसकी गर्दन पकड़ ली… बस यही एक रास्ता था जान बचाने का।” – नीलेश (जिला अस्पताल से)

दोस्ती की मिसाल — हरवंश भी भिड़ा बाघ से

नीलेश की जान बचाने के लिए हरवंश ने पीछे से बाघ को खींचा। दोनों ने मिलकर शोर मचाया और दो मिनट तक संघर्ष किया, तब जाकर बाघ जंगल की ओर भाग गया।
नीलेश लहूलुहान हो गया था, हरवंश ने उसे गोद में उठाकर गांव तक लाया। “नीलेश को खून से लथपथ देख मैं घबरा गया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी।” – हरवंश

महिला को मुंह में दबाकर 20 मीटर तक ले गया बाघ

इसी बाघ ने गांव सहजनिया निवासी मीना देवी पर भी हमला किया था।
सुबह करीब साढ़े छह बजे मीना खेत जा रही थीं, तभी बाघ ने झपट्टा मारा और उन्हें मुंह में दबाकर खेत की ओर ले गया।“दृश्य बेहद खौफनाक था… जैसे बाघ किसी बच्चे को उठा ले गया हो।” – दीपक सिंह, चश्मदीद
ग्रामीणों ने मिट्टी-पत्थर फेंककर महिला को बचाया। हालांकि, वो गंभीर रूप से घायल हो गईं।

जंगल से सटे गांवों में दहशत का माहौल

लगातार बाघ की मौजूदगी और हमलों के बाद न्यूरिया, मंडरिया और सहजनिया गांवों में दहशत का माहौल है।
ग्रामीणों ने वन विभाग से गश्त बढ़ाने और बाघ को पकड़ने की मांग की है।
जिला अस्पताल में घायलों का इलाज जारी है, जहां बड़ी संख्या में लोग उनका हाल जानने पहुंचे।

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