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सरकारी खेड़ा भूमि पर कब्जे का झगड़ा उफान पर, ग्राम प्रधान ने SDM से निस्तारण की गुहार लगाई

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बरेली। आंवला तहसील के ग्राम इस्माईलपुर में सरकारी भूमि को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। ग्राम प्रधान अरविंद कुमार सिंह ने गाटा संख्या 423 (खेड़ा) की 37 बीघा भूमि पर हो रहे अनाधिकृत कब्जों को गंभीर बताते हुए उपजिलाधिकारी आंवला को पत्र देकर हस्तक्षेप की मांग की है।

सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का आरोप, ग्राम प्रधान ने जताई चिंता 

प्रधान के अनुसार, गाटा संख्या 423 पूर्णतः सरकारी भूमि है। गांव के कई लोगों ने बिना किसी अनुमति के इस जमीन पर कब्जे जमा रखे हैं। खासतौर पर राजेन्द्र टेलर और सचिन के बीच इस भूमि की हिस्सेदारी और रास्ते को लेकर पुराना विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्राम प्रधान ने पत्र में स्पष्ट किया कि भूमि की सही पैमाइश कराना और उसे सरकारी कब्जे में सुरक्षित करना बेहद आवश्यक है, ताकि भविष्य में किसी बड़े विवाद या हिंसा की स्थिति न बने।

विवाद की जड़ रास्ता और कब्जेदारी

ग्राम इस्माईलपुर के खेड़ा क्षेत्र में पहले पक्ष राजेन्द्र टेलर का दावा है कि वह वर्षों से इस जमीन पर चारा और घूर डालता है। जबकि दूसरा पक्ष सचिन व अन्य इसी भूमि से 25 फीट चौड़ा रास्ता निकालने पर अड़ा हुआ है। रास्ता निकालने और हिस्सेदारी को लेकर दोनों पक्ष कई बार हिंसक झड़पों में उलझ चुके हैं।

मारपीट और मुकदमे, विवाद ने बढ़ाई दहशत

11 नवंबर 2025 को दुर्बेश नामक युवक ने बिशारतगंज थाने में तहरीर देकर आरोप लगाया कि, सचिन और उसके साथियों ने रास्ते में रोककर उसके और उसके भाई पर हमला किया जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं दोनों पक्षों के बीच ऐसे कई मामले पहले भी दर्ज हैं, जिससे गांव का माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ है।

प्रशासन पर सवाल भूमि विवाद क्यों नहीं सुलझा?

ग्राम प्रधान सहित कई ग्रामीणों का कहना है कि इतने लंबे समय से विवाद चल रहा है कब्जेदारी बढ़ती जा रही है मुकदमे और मारपीट आम बात हो चुकी है इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई दिखाई नहीं देती।

ग्राम प्रधान की मांग “सरकारी जमीन सुरक्षित कराई जाए”

SDM आंवला को दिए गए पत्र में मांग की गई है कि: भूमि की पैमाइश कर वास्तविक सीमाएं स्पष्ट की जाएं कब्जेदारों को हटाकर भूमि को सरकारी अभिरक्षा में लिया जाए, आवश्यकता होने पर भूमि को पंचायत व्यवस्था के तहत प्रधान की सुपुर्दगी में सौंपा जाए प्रधान का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है।

अब निगाहें SDM पर, क्या जल्द होगा विवाद का समाधान?

इस्माईलपुर की यह सरकारी भूमि न केवल कानूनी विवाद का विषय है, बल्कि गांव के माहौल को भी प्रभावित कर रही है। अब देखना यह है कि SDM आंवला इस प्रकरण में क्या कदम उठाते हैं और क्या सरकारी भूमि पर से अवैध कब्जे हट पाएंगे।

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