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बरेली में छोटे नोटों का संकट गहराया: लोगों को भा रहे 10, 20, 50 के नोट, लेकिन ATM और बैंकों के लिए बने ‘मुश्किल’

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बरेली। 10, 20 और 50 के नोट एटीएम में फीड करने का सिस्टम ही नहीं और बैंकों को करेंसी चेस्ट में रखना मुश्किल पड़ रहा है, इसलिए छोटी करेंसी का संकट बढ़ता जा रहा है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि आरबीआइ ने दीपावली के दौरान तो बैंकों को इन नोटों की काफी सप्लाई की थी लेकिन अब धीरे-धीरे इन नोट खपाए जा चुके हैं। चूंकि यह नोट एटीएम से भी नहीं निकाले जा सकते, इसलिए इनका सर्कुलेशन पर असर पड़ रहा है।हालांकि कुछ अधिकारियों का मानना है कि सरकार वैसे ही डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दे रही है। इसलिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया की ओर से छोटे नोटों की आपूर्ति तंग हाथों से ही की जा रही है। काफी समय से छोटे नोटों की कमी दिखाई दे रही है। यहां एबीआइ, बैंक आफ बड़ौदा, पीएनबी सहित तमाम दूसरी बैंकों के पास करेंसी चेस्ट हैं, जिनके पास सीधे आरबीआइ से नए नोटों की आपूर्ति की जाती है।

बैंक अधिकारियों का कहना है कि कई बैंकों के करेंसी चेस्ट भी कम कर दिए गए हैं। इस समय सबसे महत्वपूर्ण मानी जानी वाली स्टेट बैंक आफ इंडिया का कचहरी रोड स्थित मेन ब्रांच में ही करेंसी चेस्ट चल रहा है। जबकि पहले इसकी संख्या छह थी। इसी तरह दूसरी कई बैंकों के करेंसी चेस्ट कम हुए है।

 

ऐसे में नोटों की मांग और आपूर्ति के बीच को लेकर हर वक्त ही दिक्कत रहती है लेकिन इधर छोटे नोटों को लेकर संकट गहरा रहा है। इसकी वजह बताई जा रही है कि बैंक 100, 200 और 500 के नोट तो आसानी सकती है, उनके करेंसी चेस्ट में जगह सीमित है और बड़े नोट कम जगह में ज्यादा से ज्यादा आसानी से रखे जा सकते हैं।

इसलिए इससे छोटे नोटों को लेने में उन्हें ही उन्हें कोई खास दिलचस्पी नहीं है। इसके अलावा एटीएम मे भी इसकी फीडिंग नहीं की जा सकती है। इसलिए लोगों के बीच सीधे ही पहुंचाने का रास्ता है। तीसरी, बड़ा कारण यह है कि डिजिटल पेमेंट की लगातार कोशिश के बीच आरबीआइ ने ही नोटों की आपूर्ति करने में अपने हाथों को थोड़ा ज्यादा ही खींच कर रखा है। इन भी कारणों के बीच इस समय नोटों का संकट दिखाई देने लगा है।

 

मांग ज्यादा होने से नोटों की सप्लाई में कमीशनबाजी का भी खेल

शादी-ब्याह के इस मौसम में बरात में नोट उड़ाने से लेकर न्यौता देने तक में छोटे नोटों का इस्तेमाल खूब होता है। इसलिए इस समय छोटे नोटों की मांग चार से पांच गुणा तक बढ़ जाती है। इसमें तमाम लोग इसमें रोजगार का अवसर भी तलाश कर लेते हैं। कुछ लोग कुछ कर्मचारियों से मिलकर बड़ी मात्रा में नोट ले लेते हैं। इसके बाद वह इन्हें दुकानदारों व अन्य लोगों को कमीशन लेकर बेच देते हैं। ऐसे में बड़े पैमाने पर करेंसी कुछ हाथों में पहुंच जाने से भी छोटे नोटों की कमी पैदा हो जाती है।

लोगों ने पहले ही सुरक्षित रख लीं थीं नोटों की गड्डियां

आरबीआइ ने दिवाली पर बैंकों के करेंसी चेस्ट को दोनों हाथों से खुलकर नोटों की आपूर्ति की थी। इसलिए काफी समय तक इसकी कमी नहीं रही। इस त्योहार के बाद सहालग का मौसम शुरू हो जाता है तो उसे देखते हुए जिन लोगों में परिवार के किसी सदस्य की शादी होनी थी, उसने पहले ही नोटों की गड्डियों को लेकर सुरक्षित रख लिया था। एलडीएम डा. वीके अरोरा बताते हैं कि त्योहार बीते काफी समय हो गया है। इसलिए अब ये नोट काफी हद तक खपाए भी जा चुके हैं।

यह सही है कि इस समय कैश को लेकर समस्या आ रही है। हालांकि किसी बैंक की ओर से अब तक इसकी सूचना तो नहीं दी गई लेकिन नकदी की बात करें तो सौ से नीचे नोटों को लेकर ही ज्यादा परेशानी बताई जा रही है। इस समय सहालग को लेकर भी छोटै नोटों की मांग काफी है।– डा. वीके अरोरा, लीड बैंक मैनेजर

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