मुस्लिम बेटी की शादी में हिंदुओं को दावत से उलमा नाराज, फतवा जारी, SSP सख्त, SHO को सौंपी जांच

बरेली। मुस्लिम परिवार की तरफ से बेटी की शादी में हिंदूओं को दावत देने पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि सुन्नी जमात से जुड़े कुछ उलमा (धर्मगुरुओं) ने इससे नाराज होकर एक फतवा जारी कर दिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। फतवे में मुस्लिम समुदाय के लोगों से इस शादी की दावत में शामिल न होने की अपील की गई, जिसके कारण पीड़ित परिवार को भारी आर्थिक और सामाजिक नुकसान उठाना पड़ा है। मामले की की शिकायत एसएसपी तक पहुंची तो उन्होंने सख्ती दिखाते हुए एसएचओ को जांच का आदेश दिया है।
यह मामला भोजीपुरा थाना क्षेत्र के गांव मोहम्मदपुर जाटान का है। गांव निवासी ताहिर अली के अनुसार उनकी बेटी फिजा की शादी 3 दिसंबर को थी। शादी समारोह के तहत, उन्होंने सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के उद्देश्य से दो अलग-अलग दिनों पर दावत का आयोजन किया था। एक दिसंबर को हिंदू समुदाय और दो दिसंबर को मुस्लिम समाज के लोगों के लिए दावत का आयोजन किया गया था। ताहिर अली के मुताबिक हिंदुओं को दावत देने की बात सुन्नी जमात से जुड़े कुछ मौलानाओं को नागवार गुजरी और उन्होंने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की।
फतवा वायरल, हुआ आर्थिक नुकसान
ताहिर अली का गंभीर आरोप है कि इमाम अखलाक रजा, इमाम इमरान रजा, मौलाना हसरत अली और मौलाना अबुल कादिर सहित कुछ अन्य मौलानाओं ने मिलकर व्हाट्सएप पर एक फतवा जारी किया और उसे बड़े पैमाने पर पोस्ट करा दिया। फतवे में स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय के लोगों से ताहिर अली की बेटी की शादी की दावत में शामिल न होने के लिए कहा गया।
इस फतवे के डर या प्रभाव के कारण बड़ी संख्या में लोग 2 दिसंबर की दावत में शामिल नहीं हुए। पीड़ित परिवार का आरोप है कि मेहमानों के न आने के कारण उन्हें दावत के आयोजन में भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
एसएसपी ने सौंपी जांच
पीड़ित ताहिर अली ने बरेली के एसएसपी से इस मामले की लिखित शिकायत की। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एसएसपी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए भोजीपुरा थाना प्रभारी को पूरे मामले की जांच सौंप दी है।
इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक भोजीपुरा राजीव कुमार सिंह ने बताया कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि तथ्यों के आधार पर दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ उचित और कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह घटना सामाजिक सौहार्द और धार्मिक मान्यताओं के टकराव का एक गंभीर उदाहरण है।





