
बरेली। कैनविज कंपनी के जरिये निवेशकों के करोड़ों रुपये ठगने का आरोपी कन्हैया लाल गुलाटी बेहद शातिर है। उसने निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए अपनी कंपनी के लोगो के साथ एलआईसी का लोगो और उससे जुड़ाव भी दिखाया। सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनी का जुड़ाव समझकर लोगों ने ज्यादा से ज्यादा रकम निवेश कर दी और फंस गए। एलआईसी की ओर से नोटिस मिलने पर आरोपी ने लोगो हटाया था।
कानूनी लड़ाई लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता अमित मिश्रा ने मीडिया व अधिकारियों को पत्र भेजकर गुलाटी का कच्चा-चिट्ठा खोला है। उन्होंने बताया कि कन्हैया ने वर्ष 2006 में कैनविज सेल्स एंड मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई थी, जिसमें लखनऊ व कानपुर के निवासी आशुतोष श्रीवास्तव, राकेश पांडेय, नितिन श्रीवास्तव आदि को पार्टनर के तौर पर साथ लिया था। वर्ष 2007 से कन्हैया गुलाटी अपनी कंपनी में लोगों से निवेश करा रहा था।
मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी के तौर पर काम करने वाली इस कंपनी ने लोगों का भरोसा जीतने के लिए अपने विज्ञापनों में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का नाम और लोगो को भी शामिल कर लिया था। कंपनी के पदाधिकारी अपने सेमिनार, वेबसाइट व प्रचार सामग्री में एलआईसी के लोगो इस्तेमाल करते थे। इससे भरोसे में आकर लोग तेजी से जुड़ने लगे।
एलआईसी ने जारी किया था नोटिस
अमित मिश्रा ने बताया कि कैनविज को एलआईसी ने बीमा बेचने के लिए अधिकृत नहीं किया था। बावजूद इसके कंपनी का लोगो व नाम इस्तेमाल करने की जानकारी पर एलआईसी के बरेली मंडल कार्यालय की ओर से 22 मार्च 2016 को पत्र जारी किया गया। कैनविज के कार्यकारी निदेशक से बिना अनुमति एलआईसी के रजिस्टर्ड लोगो के इस्तेमाल पर सात दिनों में जवाब तलब किया गया था।
जवाब न देने पर 10 मई 2016 को फिर रिमांइडर दिया गया। प्रकरण के लिए अधिकृत अधिकारी वीके थपरियाल (प्रबंधक विक्रय) को नियुक्त किया गया। तब कैनविज कंपनी ने अपनी वेबसाइट व प्रचार सामग्री से एलआईसी का लोगो हटा लिया था। हालांकि एलआईसी अधिकारियों ने मामले में कानूनी कार्रवाई नहीं की, जिसे लेकर आज तक सवाल उठ रहे हैं।
करोड़पति बनाने का दिखाते थे सपना
गुलाटी की कैनविज कंपनी लोगों को 22 महीने तक रकम जमा करने पर हर महीने पांच फीसदी ब्याज देने का झांसा देती थी। फिर 22 महीने बाद उन्हें उनका मूलधन ज्यों का त्यों लौटाने का दावा किया जाता था। शुरू में गुलाटी के एजेंट प्रतिमाह लोगों को यह रकम देते थे, बाद में एजेंटों के जरिये भी गड़बड़ी शुरू हो गई। कंपनी महंगे होटलों में भव्य सेमिनार करके बेरोजगार युवाओं को मल्टी लेवल मार्केटिंग के लाभ बताकर जोड़ती थी।
वह अपने नीचे सदस्य बनाते थे तो आकर्षक कमीशन मिलता था। कुछ खास लोगों को महंगी कार भी दी जाती थी। एलआईसी की पॉलिसी खरीदकर कैनविज का सदस्य बनने के लिए इच्छुक शख्स को 25 हजार रुपये खर्च करने पड़ते थे। कंपनी से जुड़ने के लिए लिस्ट में शामिल अन्य उत्पादों की कीमत इससे बेहद कम थी। इसी झांसे में लोग कंपनी के उत्पादों पर भरोसा करके निवेश कर देते थे।
एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि कैनविज मामले में कन्हैया गुलाटी व उसके साथियों पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। जल्दी ही एसआईटी उससे संबंधित पत्रावली व विवेचनाएं ग्रहण कर तफ्तीश व तलाश शुरू कर देगी।






