5 साल से दबा था भ्रष्टाचार का मामला: ग्राम विकास अधिकारी से वसूले जाएंगे ₹41,934
भीकमपुर में मनरेगा घोटाला, डीएम आदेश की उड़ रही थीं धज्जियाँ, अब नोटिस जारी

बरेली। मनरेगा योजना के तहत विकासखंड विथरी चैनपुर की ग्राम पंचायत भीकमपुर में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। वर्ष 2019 में मनरेगा कार्यों में अनियमितता और सरकारी धन के दुरुपयोग की शिकायतों पर जिलाधिकारी ने तत्कालीन ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी पुष्पेंद्र गंगवार के खिलाफ जांच कराई थी। जांच में आरोप प्रमाणित पाए गए और 41,934 रुपए की वसूली का आदेश पारित किया गया था।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि पांच साल बीत जाने के बाद भी न तो धन की वसूली हुई और न ही जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई। इससे प्रतीत होता है कि ग्राम विकास अधिकारी ने डीएम के आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
अब जागा प्रशासन: पंचायत राज अधिकारी ने जारी किया नोटिस
लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ी फाइल तब हरकत में आई जब पंचायती राज अधिकारी कमल किशोर ने गंभीरता दिखाते हुए ग्राम विकास अधिकारी पुष्पेंद्र गंगवार के नाम नोटिस जारी कर ₹41,934 की वसूली के निर्देश दिए। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय पर धनराशि जमा नहीं की गई तो आगे की विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
बड़ा सवाल यह है...
क्या ग्राम विकास अधिकारी ने जानबूझकर जिलाधिकारी के आदेश को नजरअंदाज किया?
भ्रष्टाचार उजागर होने के बावजूद पांच साल तक विभाग क्यों चुप रहा?
क्या मामले में किसी ऊंचे स्तर पर ‘संदिग्ध संरक्षण’ दिया गया था?
क्या अब अन्य दोषियों पर भी होगी सख्त कार्रवाई?
सरकारी धन का दुरुपयोग, सिस्टम पर फिर सवाल
मनरेगा जैसी योजना, जो ग्रामीणों को रोजगार देने का सशक्त माध्यम है, उसमें इस तरह का भ्रष्टाचार गरीबों के हक पर डकैती जैसा है। प्रशासन को चाहिए कि केवल वसूली तक सीमित न रहे, बल्कि दोषियों पर विभागीय जांच कर निलंबन और मुकदमा तक की कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई अफसर सरकारी धन को ‘अपना’ समझने की भूल न करे।
अब देखना यह है कि क्या ₹41,934 की यह वसूली वास्तव में होगी या फिर यह भी कागजों में दबी एक और फाइल बनकर रह जाएगी।