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बरेली के निजी अस्पताल में घोर लापरवाही: ऑपरेशन के बाद बच्चेदानी में कपड़ा छोड़कर लगाए टांके, शिशु की मौत

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बरेली। बरेली में एक निजी अस्पताल की मेडिकल लापरवाही ने एक परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया। भोजीपुरा क्षेत्र स्थित एवन अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव के दौरान चिकित्सकों ने महिला की बच्चेदानी में कपड़ा छोड़ दिया, जिससे महिला की हालत गंभीर हो गई। वहीं नवजात की मौत पहले ही ऑपरेशन के दौरान हो चुकी थी।

घटना के सामने आने के बाद जिलाधिकारी के आदेश पर अस्पताल को सील कर दिया गया है और अस्पताल संचालक एवं संबंधित डॉक्टरों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर दी गई है। पूरे मामले की जांच के लिए चिकित्सीय बोर्ड का गठन किया गया है।

 क्या है पूरा मामला?

भोजीपुरा निवासी ताहिर खान ने बताया कि उन्होंने अपनी गर्भवती पत्नी नूरजहां को 3 जून को एवन अस्पताल में भर्ती कराया था। चिकित्सकों ने ऑपरेशन से डिलीवरी कराई, लेकिन शिशु मृत पैदा हुआ। महिला को 5 दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया।

डिस्चार्ज के बाद भी नूरजहां के पेट में लगातार तेज दर्द और टांकों से पस आने लगा। जब हालात बिगड़ते गए, तो परिवार ने उसे गणेश डायग्नोस्टिक सेंटर में अल्ट्रासाउंड और शुभ डायग्नोस्टिक सेंटर में सीटी स्कैन के लिए ले जाया।

जांच रिपोर्ट में बच्चेदानी के अंदर ब्लड साफ करने वाला कपड़ा (गॉज) छूटे होने की पुष्टि हुई। यह मेडिकल लापरवाही का सीधा और गंभीर मामला है, जिससे महिला की जान भी खतरे में पड़ सकती थी।

डीएम ने दिए अस्पताल सील करने के आदेश, FIR दर्ज

जिलाधिकारी को शिकायत मिलने के बाद उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए एवन अस्पताल को सील करने का आदेश दिया। साथ ही संबंधित डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ थाना भोजीपुरा में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

 जांच के लिए बना चिकित्सीय बोर्ड

मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने विशेष चिकित्सीय जांच समिति गठित की है, जो पूरे ऑपरेशन, स्टाफ की योग्यता और अस्पताल की सुविधाओं की जांच कर रही है। रिपोर्ट आने के बाद और भी कार्रवाई की जा सकती है।

परिवार ने की न्याय की मांग

नूरजहां के पति ताहिर खान का कहना है “हमने सोचा था कि खुशी से घर आएंगे, लेकिन एक तरफ हमारा बच्चा चला गया और दूसरी तरफ मेरी पत्नी की जान भी खतरे में आ गई। अगर समय पर जांच न कराते, तो शायद उन्हें भी खो देते। हम प्रशासन से न्याय की मांग करते हैं।”

जनहित में चेतावनी

स्वास्थ्य विभाग को अब सभी निजी अस्पतालों का ऑडिट कराना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि लाइसेंस, उपकरण, योग्य स्टाफ और संक्रमण नियंत्रण जैसी बुनियादी चीज़ें सही तरीके से लागू हो रही हैं या नहीं।

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