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“I Love Mohammad” लिखने पर एफआईआर से सियासत गर्म

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बरेली। कानपुर में “I Love Mohammad” लिखने पर एक युवक के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नया विवाद खड़ा कर दिया है। बरेली में कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नेताओं ने इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। उन्होंने इसे भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब पर चोट और संविधान की भावना के खिलाफ बताया।

कांग्रेस नेताओं का बयान: “मोहब्बत जताना गुनाह कैसे?”

कांग्रेस के प्रदेश सचिव आसिफ अली और ज़िला अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष शहज़ाद अली ने प्रेस बयान जारी कर इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि “‘I Love Mohammad’ लिखना धार्मिक प्रेम की अभिव्यक्ति है, न कि कोई अपराध। इसे अपराध बताकर न केवल संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है, बल्कि देश में नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है।”

संविधान के अनुच्छेदों का हवाला देकर उठाए सवाल

आसिफ अली ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A), 21 और 25 का उल्लेख करते हुए कहा कि “हर नागरिक को बोलने, अपने विचार रखने, धर्म का पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले (मेन्का गांधी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, 1978) में यह साफ किया गया है कि नागरिक की स्वतंत्रता को केवल तर्कसंगत आधार पर ही सीमित किया जा सकता है।”

“नफरत फैलाने वाली FIRs देश को तोड़ने का प्रयास” शहज़ाद अली

जिला अध्यक्ष शहज़ाद अली ने पुलिस पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा “धार्मिक भावनाओं की आड़ में इस तरह की एफआईआर दरअसल समाज को बांटने और मुसलमानों को डराने की राजनीति का हिस्सा हैं। ऐसे पुलिस अधिकारियों को चिन्हित कर बर्खास्त किया जाना चाहिए।”

“भारत मोहब्बत का पैग़ाम देता है”

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि “भारत सदा से प्रेम, भाईचारे और सहिष्णुता की ज़मीन रहा है। ‘I Love Mohammad’ जैसे बयानों को अपराध बताना उसी तहज़ीब पर हमला है, जिसने सदियों से हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की है।”

राज्यपाल को भेजा गया ज्ञापन, कार्रवाई की मांग

कांग्रेस नेताओं ने इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है, जिसे बरेली के जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि “संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक है कि कानून का दुरुपयोग रोकें और जो अधिकारी पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।”

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