Chhath Puja 2025: उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ लोक आस्था का महापर्व
रिमझिम बारिश के बीच भी बरेली मंडल में बिखरी भक्ति और श्रद्धा की छटा, घाटों पर गूंजे जयकारे

बरेली। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का समापन मंगलवार तड़के उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ हुआ। बरेली मंडल के तीनों जिलों—बरेली, पीलीभीत और शाहजहांपुर—में इस पर्व की भव्यता, श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। चार दिनों तक चले इस पर्व में व्रतियों ने तप, त्याग और श्रद्धा के साथ सूर्य देव व छठ मैया की उपासना की।
रिमझिम बारिश में भी व्रतियों का अटूट उत्साह
मंगलवार सुबह चार बजे से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। बारिश की फुहारों के बावजूद व्रतियों के जोश और भक्ति में कोई कमी नहीं दिखी। महिलाएं जलाशयों में खड़ी होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देती रहीं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती रहीं।
बरेली में भक्ति से नहाया वातावरण
रुहेलखंड विश्वविद्यालय परिसर स्थित श्री शिव-शक्ति मंदिर सरोवर पर सबसे अधिक भीड़ उमड़ी। पूरा परिसर फूलों, दीपों और झालरों से सजा हुआ था। छठी मैया के भजन और गीतों से वातावरण भक्तिमय बन गया।
रिमझिम बारिश के बीच व्रती महिलाएं पूजा की टोकरी लिए जल में खड़ी रहीं। जैसे ही सूर्यदेव की पहली किरण धरती पर पड़ी, घाटों पर “छठी मैया की जय” के जयकारे गूंज उठे।
इज्जतनगर स्थित श्री शिव-पार्वती मंदिर, धोपेश्वरनाथ मंदिर, और अन्य घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में फल, दूध, ठेकुआ और अन्य प्रसाद से अर्घ्य अर्पित किया।
पीलीभीत में भक्ति और उल्लास का संगम
पीलीभीत जिले में सोमवार शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूरी रात भक्ति और जागरण चलता रहा। मंगलवार सुबह बरहा रेलवे क्रॉसिंग जलाशय सहित विभिन्न घाटों पर व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया।
सुबह 6:30 बजे जैसे ही पहली किरण पड़ी, श्रद्धालुओं ने छठी मैया की आराधना की। मझोला, घुंघचाई, बीसलपुर और बिलसंडा क्षेत्रों में भी छठ पूजा का उल्लास देखने को मिला। पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी।
शाहजहांपुर में भी उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
शाहजहांपुर जिले के खन्नौत नदी घाट, हनुमत धाम, ककरा पुल, और रिलायंस टाउनशिप तालाब में छठ पूजा का आयोजन हुआ। तड़के से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। छठी मैया के गीतों और जयकारों से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया।
घाटों पर लगे मेलों में प्रसाद और पूजन सामग्री की दुकानों पर भीड़ रही। प्रशासन ने साफ-सफाई और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए।
त्याग, पर्यावरण और आस्था का अद्भुत संदेश
छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि पर्यावरण और जल संरक्षण का प्रतीक भी है। व्रतियों द्वारा निर्मल जलाशयों में पूजा करने की परंपरा लोगों को स्वच्छता और प्रकृति संरक्षण का संदेश देती है।
चार दिन के इस पर्व — नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य — के दौरान व्रतियों ने आत्मसंयम, समर्पण और त्याग का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
पूरा मंडल आस्था से सराबोर
बरेली मंडल के सभी जिलों में दीपों की जगमगाहट, पारंपरिक गीतों और भक्ति से वातावरण दिव्यता से भर गया। रिमझिम बारिश के बीच व्रतियों ने सूर्य की पहली किरण के साथ अर्घ्य अर्पित कर महापर्व का विधिवत समापन किया।
लोगों ने एक-दूसरे को छठ की शुभकामनाएं दीं और समृद्धि व मंगल की कामना की।






