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उत्तरप्रदेशबरेली

विकासखंडों में काली पट्टी बांधकर विरोध: ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली व अतिरिक्त कार्यभार के खिलाफ जीपीओ–वीडीओ संघों का आक्रोश

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बरेली। उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत अधिकारी संघ, लखनऊ तथा ग्राम विकास अधिकारी एसोसिएशन, लखनऊ के प्रांतीय आवाहन पर सोमवार को जनपद बरेली के सभी विकासखंडों में ग्राम पंचायत अधिकारियों और ग्राम विकास अधिकारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराया।

कर्मचारियों का कहना है कि ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली लागू करने और मूल विभागीय कार्यों के अतिरिक्त अन्य विभागों के कार्य थोपे जाने से उनका कार्यभार अनियंत्रित रूप से बढ़ रहा है।

सभी विकासखंडों में एक साथ विरोध प्रदर्शन

1 दिसंबर 2025 को जिले के सभी विकासखंडों में कार्यरत ग्राम पंचायत अधिकारी (GPO) और ग्राम विकास अधिकारी (VDO) निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार काली पट्टी लगाकर अपने-अपने विभागीय कार्य करते दिखाई दिए। कर्मचारियों का कहना है कि यह शांतिपूर्ण विरोध है, लेकिन यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।

कई संगठनों के पदाधिकारी रहे उपस्थित

विरोध प्रदर्शन में जिलेभर के वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। इनमें प्रमुख रूप से जितेंद्र गंगवार – प्रांतीय मंत्री/जिलाध्यक्ष, यूपी ग्राम पंचायत अधिकारी संघ,सुरेंद्र वीर गंगवार – अध्यक्ष, ग्राम विकास अधिकारी संघ,राजीव यादव – महामंत्री, ग्राम विकास अधिकारी संघ,करन सिंह – महामंत्री, ग्राम पंचायत अधिकारी संघ,कमल कुमार – प्रांतीय प्रतिनिधि, ग्राम विकास अधिकारी संघ,अरविंद गंगवार – प्रांतीय प्रतिनिधि, ग्राम पंचायत अधिकारी संघ,गजेंद्र वर्मा – वरिष्ठ उपाध्यक्ष, ग्राम पंचायत अधिकारी संघ,अमित गंगवार – कोषाध्यक्ष, ग्राम पंचायत अधिकारी संघ,मनोज पटेल – संगठन मंत्री, ग्राम पंचायत अधिकारी संघ,मुकेश कुमार – संयुक्त मंत्री, ग्राम पंचायत अधिकारी संघ,इसके अलावा विवेक गंगवार, पुष्पेंद्र गंगवार, मोरपाल गंगवार, नरेश राठौर, रेखा रानी गंगवार, छत्रपाल गंगवार, अक्षय गुप्ता, मुकेश रस्तोगी समेत अनेक जीपीओ व वीडीओ उपस्थित रहे।

क्या हैं कर्मचारियों की प्रमुख मांगें?

1. अनिवार्य ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली खत्म की जाए।ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क समस्याओं के बीच यह प्रणाली व्यवहारिक नहीं कर्मचारियों का तर्क।

2. मूल विभागीय कार्यों के अतिरिक्त अन्य विभागों का बोझ रोका जाए कर्मचारियों ने कहा कि उन पर लगातार अन्य विभागों के सर्वे, जागरूकता कार्यक्रम, पोर्टल अपलोडिंग जैसे अतिरिक्त काम थोपे जा रहे हैं।

3. कार्य-परिस्थितियों को व्यावहारिक और सुविधा युक्त बनाया जाए

आगे की रणनीति तय करने को तैयार संघ

संघों ने चेतावनी दी है कि यदि शासन–प्रशासन ने मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया,तो जिला स्तर से प्रांतीय स्तर तक बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

 

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